हमने देखा था शौक-ऐ-नजर की खातिर...!!
ये न सोचा था के तुम दिल मैं उतर जाओगे..!!!
"Humne dekha tha shauk-e-nazar ki khaatir...!!
Ye na socha tha ke tum dil mein utar jaoge..!!!"
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लफ्जो की कमी हैं आजकल..!
दिल कि मरम्मत चल रही हैं ..!!
"Lafzon ki kami hain aajkal..!
Dil ki marammat chal rahi hain..!!"
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लिख तू कुछ ऐसा ऐ-दिल, जिसे पढ़..!
वो रोये भी ना और, रात भर सोये भी ना..!!
"Likh tu kuch aisa ae-dil, jise padh..!
Wo roye bhi na aur, raat bhar soye bhi na..!!"
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ख्वाहिश तो थी मिलने की… पर कभी कोशिश नही की..!
सोचा के जब खुदा माना है तुजको तो बिन देखे ही पूजेंगे...!!
"Khwaahish to thi milne ki… par kabhi koshish nahi ki..!
Socha ke jab khuda maana hai tujhko to bin dekhe hi poojenge...!!"
मैकदे बंद करे चाहे लाख जमाने वाले .!
शहर में कम नहीं आँखों से पिलाने वाले ..!!
"Maikade band kare chahe lakh zamane wale...!
Shehar mein kam nahi aankhon se pilaane wale...!!"
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अल्फ़ाज़ चुराने की ज़रूरत ही ना पड़ी कभी..!
तेरे बे-हिसाब ख्यालों ने बे-तहाशा लफ्ज़ दिए..!!
"Alfaz churane ki zaroorat hi na padi kabhi..!
Tere be-hisaab khayalon ne be-tahasha lafz diye..!!
--------------------------------------------
मुझे खींच ही लेती है हर बार उसकी मोहब्बत..!
वरना बहुत बार मिला हूँ आखिरी बार उससे...!!
"Mujhe kheench hi lete hai har baar uski mohabbat..!
Warna bahut baar mila hoon aakhiri baar usse...!!"
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ऐ समन्दर..!
मैं तुझसे वाकिफ नहीं हूँ मगर इतना बताता हूँ,
वो आँखें तुझसे ज़्यादा गहरी हैं जिनका मैं आशिक हूँ.
"Ae samandar..!
Main tujhse waqif nahin hoon magar itna batata hoon, Wo aankhen tujhse zyada gehri hain jin ka main aashiq hoon."
शायद तेरा नजरिया मेरे नजरिए से अलग था,.!
तू वक्त गुजार ना चाहती थी, और मे जिन्दगी ..!!
"Shayad tera nazariya mere nazariye se alag tha..!
Tu waqt guzaar na chahti thi, aur main zindagi..!!"
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छीन कर हाथो से सिगार वो कुछ इस अंदाज़ से बोली..!
कमी क्या है इन होठोंमें जो तुम सिगरेट पीते हो...!!
"Cheen kar haathon se sigar wo kuch is andaaz se boli..!
Kami kya hai in hotho mein jo tum cigarette peete ho...!!"
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आईने में वो देख रहे थे बहार-ए-हुस्न..!
आया मेरा ख़याल तो शर्मा के रह गए,..!!
"Aaine mein wo dekh rahe the bahaar-e-husn..!
Aaya mera khayal to sharma ke rah gaye,..!!"
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ना जाने वो आइना कैसे देखते होंगे..!
जिसकी आखो को देख दुनिया फना हैं,..!!
"Naa jaane wo aaina kaise dekhte honge..!
Jiski aankhon ko dekh, duniya fanaa hai,..!!"
मुझसे इश्क किया है तो वफ़ा का वादा भी करो .!
मैं बिखरना नहीं चाहता टूटे हुवे काँच की तरह.!!
"Mujhse ishq kiya hai to wafa ka vaada bhi karo! Main bikhar naahi chahta toote hue kaanch ki tarah!!"
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बहुत लम्बी ख़ामोशी से गुज़रा हूँ में..!
किसी से कुछ कहने की चाहत में..!!
"Bahut lambi khamoshi se guz
मुझसे इश्क किया है तो वफ़ा का वादा भी करो .!
मैं बिखरना नहीं चाहता टूटे हुवे काँच की तरह.!!
"Mujhse ishq kiya hai to wafa ka vaada bhi karo! Main bikhar naahi chahta toote hue kaanch ki tarah!!"
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बहुत लम्बी ख़ामोशी से गुज़रा हूँ में..!
किसी से कुछ कहने की चाहत में..!!
"Bahut lambi khamoshi se guzra hoon main..! Kisi se kuch kehne ki chahat mein..!!"
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कोशिश बहुत थी कि राजे अहसास बयाँ न हो.!
पर मुमकिन कहाँ था कि आग लगे और धुआँ न हो..!!
"Koshish bahut thi ki raaz-e-ehsaas bayan na ho.! Par mumkin kahan tha ki aag lage aur dhuaan na ho..!!"
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एक हालत पर न रहने पायी दिल की हसरते..!
तुमने जब देखा नए अंदाज से देखा मुझे...!!
"Ek haalat par na rahne paayi dil ki hasrate..! Tumne jab dekha naye andaaz se dekha mujhe...!!"
हिचकियों में वफ़ा ढूँढ रहा था..!
कमबख्त गुम हो गई दो घूँट पानी से....!!
Hichkiyon mein wafa dhoondh raha tha..! Kambakht gum ho gayi do ghunt paani se....!!
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मत दे दुआ किसी को अपनी उमर लगने की,
यहाँ ऐसे भी लोग है जो तेरे लिए जिन्दा हैं.
Mat de dua kisi ko apni umar lagne ki, Yahaan aise bh
हिचकियों में वफ़ा ढूँढ रहा था..!
कमबख्त गुम हो गई दो घूँट पानी से....!!
Hichkiyon mein wafa dhoondh raha tha..! Kambakht gum ho gayi do ghunt paani se....!!
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मत दे दुआ किसी को अपनी उमर लगने की,
यहाँ ऐसे भी लोग है जो तेरे लिए जिन्दा हैं.
Mat de dua kisi ko apni umar lagne ki, Yahaan aise bhi log hain jo tere liye zinda hain.
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कोई बेसबब , कोई बेताब ,कोई चुप ,कोई हैरान .!
तेरी महफ़िल के तमाशे ख़तम नहीं होते .!!!
Koi besabab, koi betaab, koi chup, koi hairaan.! Teri mehfil ke tamashe khatam nahin hote.!!!
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कोई बेसबब , कोई बेताब ,कोई चुप ,कोई हैरान ,तेरी महफ़िल के तमाशे ख़तम नहीं होते ,.,,!!!
Koi besabab, koi betaab, koi chup, koi hairaan.! Teri mehfil ke tamashe khatam nahin hote.!!!
लिख तू कुछ ऐसा ऐ-दिल,जिसे पढ़...!
वो रोये भी ना और, रात भर सोये भी ना...!!
Likh tu kuch aisa ae-dil, jise padh...! Woh roye bhi na aur, raat bhar soye bhi na...!!
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मैकदे बंद करे चाहे लाख जमाने वाले
शहर में कम नहीं आँखों से पिलाने वाले
Maikade band kare chahe laakh zamane wale
Shahar mein k
लिख तू कुछ ऐसा ऐ-दिल,जिसे पढ़...!
वो रोये भी ना और, रात भर सोये भी ना...!!
Likh tu kuch aisa ae-dil, jise padh...! Woh roye bhi na aur, raat bhar soye bhi na...!!
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मैकदे बंद करे चाहे लाख जमाने वाले
शहर में कम नहीं आँखों से पिलाने वाले
Maikade band kare chahe laakh zamane wale
Shahar mein kam nahi aankhon se pilane wale
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अल्फ़ाज़ चुराने की ज़रूरत ही ना पड़ी कभी;
तेरे बे-हिसाब ख्यालों ने बे-तहाशा लफ्ज़ दिए।
Alfaz churane ki zarurat hi na padi kabhi; Tere be-hisaab khayalon ne be-tahasha lafz diye.
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मुझे खींच ही लेती है हर बार उसकी मोहब्बत,
वरना बहुत बार मिला हूँ आखिरी बार उससे।
Mujhe kheench hi leti hai har baar uski mohabbat, Varna bahut baar mila hoon aakhiri baar usse.
मुकम्मल थी वो गुफ्तगू बिना अल्फाज़ों के भी कुछ यूं,
उसकी उंगलियाँ बोल रही थीं उनकी ज़ुल्फ़ों से.!!
Mukammal thi wo guftagu bina alfaazon ke bhi kuch yoon, Uski ungliyan bol rahi thi unki zulfon se.
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अक्सरपूछते है लोग, किसके लिए लिखते हो …??
अक्सर कहता है दिल…..”काश कोई होता”…!!
Aksar poochhte hain log, kiske liye likhte ho …?? Aksar kehta hai dil…..”Kaash koi hota”…!!
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उस शक्श से फ़क़त इतना सा ताल्लुक हैं मेरा ..!
वो परेशान होता है तो मुझे नींद नही आती है ..!!
Us shakhs se faqat itna sa talluq hai mera ..! Woh pareshaan hota hai to mujhe neend nahi aati hai ..!!
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ऐसा नहीं है कि अब तेरी जुस्तजू नहीं रही..!
बस टूट-टूट कर बिखरने की हिम्मत नहीं रही!!
Aisa nahi hai ki ab teri justaju nahi rahi..!
Bas toot-toot kar bikharne ki himmat nahi rahi!!
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आप पहलू में जो बैठें तो सँभल कर बैठें..!
दिल-ए-बेताब को आदत है मचल जाने की..!!
Aap pehlu mein jo baithein to sambhal kar baithein..!
Dil-e-betab ko aadat hai machal jaane ki..!!
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बुत-ख़ाना तोड़ डालिए मस्जिद को ढाइए..!
दिल को न तोड़िए ये ख़ुदा का मक़ाम है..!!
But-khana tod daliye masjid ko dhaaiye..!
Dil ko na todiye ye khuda ka maqam hai..!!
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दिल दे तो इस मिज़ाज का परवरदिगार दे
जो रंज की घड़ी भी ख़ुशी से गुज़ार दे
Dil de to is mizaaj ka parvardigar de .!
Jo ranj ki ghadi bhi khushi se guzar de ..!!
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बदल जाती हो तुम, कुछ पल साथ बिताने के बाद..!
यह तुम मोहब्बत करती हो या नशा…!!
Badal jaati ho tum, kuch pal saath bitaane ke baad..! Yeh tum mohabbat karti ho ya nasha…!!
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तेरे एक-एक लफ्ज़ को हज़ार मतलब पहनाये हमने…
चैन से सोने ना दिया तेरी अधूरी बातों ने…
Tere ek-ek lafz ko hazaar matlab pehnaye humne…
Chain se sone na diya teri adhuri baaton ne…
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आदत हो गयी है तेरे करीब रहने की……
तेरी सांसो की खुशबु वाला इत्र मिलता है कही….!!!?
Aadat ho gayi hai tere kareeb rehne ki…… Teri saanson ki khushbu wala ittr milta hai kahi….!!!?
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तारों से कह दो कि वो टूट गिरे मेरे हाथों में,
माँगता है यार मेरा मुझसे उन्हें अक्सर रातों में….!!!!
Taaron se keh do ki wo toot gire mere haathon mein, Maangta hai yaar mera mujhse unhein aksar raato mein….!!!!
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दिल की वीरानी का क्या मज़कूर है..!
ये नगर सौ मर्तबा लूटा गया...!!
Dil ki veerani ka kya mazkoor hai..!
Ye nagar sau martaba loota gaya...!!
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यूँ तो मसले और मुद्दे बहुत हैं …….लिखने को मगर ...!
कमबख्त़ इन कागज़ों को तेरा ही ,,,ज़िक्र अज़ीज़ है !!
Yoon to masle aur mudde bahut hain ……likhne ko magar ...! Kambakht in kagazon ko tera hi, zikr azeez hai!
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लाजिमी नहीं की आपको आँखों से ही देखुं।
आपको सोचना आपके दीदार से कम नहीं।।
Lazimi
यूँ तो मसले और मुद्दे बहुत हैं …….लिखने को मगर ...!
कमबख्त़ इन कागज़ों को तेरा ही ,,,ज़िक्र अज़ीज़ है !!
Yoon to masle aur mudde bahut hain ……likhne ko magar ...! Kambakht in kagazon ko tera hi, zikr azeez hai!
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लाजिमी नहीं की आपको आँखों से ही देखुं।
आपको सोचना आपके दीदार से कम नहीं।।
Lazimi nahi ki aapko aankhon se hi dekhu.! Aapko sochna aapke deedaar se kam nahi. .!!
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तुम सामने आये तो, अजब तमाशा हुआ..!
हर शिकायत ने जैसे, खुदकुशी कर ली..!!
Tum saamne aaye to, ajab tamasha hua..!
Har shikayat ne jaise, khudkushi kar li..!!
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पर्दा तो होश वालों से किया जाता है .!
बेनकाब चले आओ हम तो नशे में है..!!
Parda to hosh walon se kiya jata hai..!
Benakab chale aao hum to nashe mein hai..!!
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तुम्ही ने छुआ होगा…!
हवा यूँ बेवजह कभी नहीं महकी....!!
Tumhi ne chhua hoga...!
Hawa yun bewajah kabhi nahin mahki...!!
हमको तो बेजान चीज़ों पर भी प्यार आता है….यारा..!
तुझमें तो फिर भी मेरी जान बसी है….!!
Humko to bejaan cheezon par bhi pyaar aata hai.... yaara..! Tujhmein to phir bhi meri jaan basi hai....!!
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ये तो सच हैं की हमे चाहने वाले बहोत हैं..!
पर ये हमारी जिद थी की हमे सिफ्र तु चाहै…!!
Ye to sach ha
हमको तो बेजान चीज़ों पर भी प्यार आता है….यारा..!
तुझमें तो फिर भी मेरी जान बसी है….!!
Humko to bejaan cheezon par bhi pyaar aata hai.... yaara..! Tujhmein to phir bhi meri jaan basi hai....!!
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ये तो सच हैं की हमे चाहने वाले बहोत हैं..!
पर ये हमारी जिद थी की हमे सिफ्र तु चाहै…!!
Ye to sach hai ki hume chahne wale bahot hain..! Par ye hamari zid thi ki hume sifr tu chahe...!!
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सो जाऊ के तेरी याद में खो जाऊ…
ये फैसला भी नहीं होता और सुबह हो जाती है…
So jaau ke teri yaad mein kho jaau...
Ye faisla bhi nahi hota aur subah ho jaati hai...
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दिल को तिरी चाहत पे भरोसा भी बहुत है..!
और तुझ से बिछड़ जाने का डर भी नहीं जाता..!!
Dil ko teri chahat pe bharosa bhi bahut hai..!
Aur tujh se bichhad jaane ka darr bhi nahi jaata..!!
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दिल टूटने से थोड़ी सी तकलीफ़ तो हुई..!
लेकिन तमाम उम्र को आराम हो गया..!!
Dil tootne se thodi si takleef to hui..!
Lekin tamaam umar ko aaraam ho gaya..!!
रात भर चलती रहती है उँगलियाँ मोबाइल पर..!
किताब सीने पे रखकर सोये हूए एक जमाना हो गया…!!
Raat bhar chalti raheti hai ungliyaan mobile par..!
Kitaab seene pe rakhkar soye hue ek zamana ho gaya…!!
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ये तो सच हैं की हमे चाहने वाले बहोत हैं..! पर ये हमारी जिद थी की हमे सिफ्र तु चाहै…!!
Yeh to sa
रात भर चलती रहती है उँगलियाँ मोबाइल पर..!
किताब सीने पे रखकर सोये हूए एक जमाना हो गया…!!
Raat bhar chalti raheti hai ungliyaan mobile par..!
Kitaab seene pe rakhkar soye hue ek zamana ho gaya…!!
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ये तो सच हैं की हमे चाहने वाले बहोत हैं..! पर ये हमारी जिद थी की हमे सिफ्र तु चाहै…!!
Yeh to sach hai ki hame chaahne waale bahut hain..!
Par yeh hamaari jidd thi ki hame sirf tu chaahiye..!!
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लिखी कुछ शायरी ऐसे तेरे नाम से..कि जिस ने तुम्हें देखा नहीं,वो भी तुम्हें बेमिसाल हने लगे है….
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करीब आने की कोशिश तो मैं करूँ लेकिन..!
हमारे बिच कोई फ़ासला दिखाई तो दे !!!
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तुझको देखा तो फिर उसको ना देखा ग़ालिब..!
चाँद कहता रह गया, मैं चाँद हूँ मैं चाँद हूँ…!!
जब कभी टूट कर बिखरो तो बताना हमको..!
हम तुम्हें रेत के जर्रों से भी चुन सकते हैं।...!!
Jab kabhi toot kar bikhro to batana humko..!
Hum tumhe ret ke zarron se bhi chun sakte hain..!!
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फिर उसने मुस्कुरा के देखा मेरी तरफ़..!
फिर एक ज़रा सी बात पर जीना पड़ा मुझे..!!
Phir usne muskara ke dekha meri taraf..!
Phir ek zara si baat par jeena pada mujhe..!!
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अब हम इश्क के उस मुक़ाम पर आ चुके हैं..!
जहां दिल किसी और को चाहे भी तो गुनाह होता है...!!
Ab hum ishq ke us maqam par aa chuke hain..! Jahan dil kisi aur ko chahe bhi to gunaah hota hai..!!
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खूबिओं से नहीं होती मोहब्बत भी सदा..!
कमियों से भी अक्सर प्यार हो जाता है” ...!!
Khubi’on se nahi hoti mohabbat bhi sada..!
Kamiyon se bhi aksar pyar ho jata hai..!!
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कांटे तो नसीब में आने ही थे..!
फूल जो हमने गुलाब चुना था...!!
Kaante to naseeb mein aane hi the..!
Phool jo humne gulaab chuna tha..!!
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ग़म वो मय-ख़ाना कमी जिस में नहीं..!
दिल वो पैमाना है भरता ही नहीं..!!
Gham wo may-khana kami jisme nahi..!
Dil wo paimana hai bharta hi nahi..!!
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सिर्फ लफ़्ज़ों को न सुनो, कभी आँखें भी पढो ..!
कुछ सवाल बड़े खुद्दार हुआ करते है… !!
Sirf lafzon ko na suno, kabhi aankhen bhi padho..!
Kuch sawal bade khuddar hua karte hain..!!
-----------------------------------------------
मत किया करिये दिन के उजालों की ख्वाहिशें ऐ हजूर..!
ये आशिक़ों की बस्तियाँ हैं यहाँ सूरज से नहीं, दीदार से दिन निकलता हैं...!!!
Mat kiya kariye din ke ujaalon ki khwahishein ae huzoor..!
Yeh aashiquon ki bastiyan hain yahan sooraj se nahi, deedaar se din nikalta hai..!!!
-----------------------------------------------
दिल से बाहर निकलने का रास्ता तक ना ढूंढ सकी वो,
दावा करती थी जो मेरी रग रग से वाकिफ होने का…!!
Dil se baahar nikalne ka raasta tak na dhoond saki wo,
Daawa karti thi jo meri rag rag se waqif hone ka..!!
-----------------------------------------------
कौन कहता है कि दिल सिर्फ लफ्जों से दुखाया जाता है;
तेरी खामोशी भी कभी कभी आँखें नम कर देती है…
Kaun kehta hai ke dil sirf lafzon se dukhaya jata hai;
Teri khaamoshi bhi kabhi kabhi aankhen nam kar deti hai..!!
थोड़ी बहुत मुहब्बत से काम नहीं चलता ऐ दोस्त..!
ये वो मामला है जिसमें या सब कुछ या कुछ भी नहीं..!!
Thodi bohot muhabbat se kaam nahi chalta ae dost..!
Yeh wo maamla hai jisme ya sab kuch ya kuch bhi nahi..!!
-----------------------------------------------
जीँदगी हो या शतरंज, मजा तभी है दोस्त,…!
जब रानी मरते दम तक साथ हो……!!
Zindagi ho ya shatranj, maza tabhi hai dost,..!
Jab raani marte dum tak saath ho..!!
-----------------------------------------------
जो निगाह-ए-नाज़ का बिस्मिल नहीं..!!
दिल नहीं वो दिल नहीं वो दिल नहीं..!!!
Jo nigaah-e-naaz ka bismil nahi..!
Dil nahi wo, dil nahi wo, dil nahi..!!!
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“हम तो फना हो गए उनकी आँखे देखकर..!
ग़ालिब ना जाने वो आइना कैसे देखते होंगे”..!!
Hum toh fana ho gaye unki aankhein dekh kar..!
Ghalib na jaane wo aaina kaise dekhte honge..!!
इश्क़ पर ज़ोर नहीं है ये वो आतिश ‘ग़ालिब’ कि ..!
लगाए न लगे और बुझाए न बने ..!!
Ishq par zor nahi hai, ye wo aatish ‘Ghalib’ ke..!
Lagaye na lage aur bujhaaye na bane..!!
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शाम से कुछ बुझा सा रहता हूँ..!
दिल हुआ है चराग़ मुफ़्लिस का..!!
Shaam se kuch bujha sa rehta hoon..!
Dil hua hai chiraagh muflis ka..!!
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कोई ताल्लुक न जोड़ो मगर सामने तो रहो..!!
तुम अपने गुरूर में खुश, और हम अपने सुरूर में खुश..!!
Koi talluq na jodo magar saamne toh raho..!!
Tum apne ghuroor mein khush, aur hum apne suroor mein khush..!!
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हम को मालूम है जन्नत की हक़ीक़त लेकिन
दिल के ख़ुश रखने को ‘ग़ालिब’ ये ख़याल अच्छा है
Hum ko maloom hai jannat ki haqeeqat lekin,
Dil ke khush rakhne ko ‘Ghalib’ ye khayal accha hai..!!
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एक लफ्ज़ है मोहब्बत
इसे कर के तो देखो !
तुम तड़प ना जाओ तो कहना !!
एक लफ्ज़ है मुक़द्दर
इससे लड़ कर तो देखो !
तुम हार न जाओ तो कहना !!
एक लफ्ज़ है वफ़ा
ज़माने में नहीं मिलती !
कहीं ढून्ढ पाओ तो कहना !!
एक लफ्ज़ है आंसू
दिल में छुपा कर तो देखो !
तुम्हारी आँख
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एक लफ्ज़ है मोहब्बत
इसे कर के तो देखो !
तुम तड़प ना जाओ तो कहना !!
एक लफ्ज़ है मुक़द्दर
इससे लड़ कर तो देखो !
तुम हार न जाओ तो कहना !!
एक लफ्ज़ है वफ़ा
ज़माने में नहीं मिलती !
कहीं ढून्ढ पाओ तो कहना !!
एक लफ्ज़ है आंसू
दिल में छुपा कर तो देखो !
तुम्हारी आँखों से न निकले तो कहना !!
एक लफ्ज़ है जुदाई
इसे सह कर तो देखो !
तुम टूट के बिखर ना जाओ तो कहना !!
एक लफ्ज़ है खुदा
उसे पुकार कर तो देखो !
सब कुछ पा ना लो तो कहना !!!
Ek lafz hai mohabbat
Ise karke toh dekho..!
Tum tadap na jao toh kehna..!!
Ek lafz hai muqaddar
Isse lad kar toh dekho..!
Tum haar na jao toh kehna..!!
Ek lafz hai wafaa
Zamaane mein nahi milti..!
Kahin dhoondh pao toh kehna..!!
Ek lafz hai aansoo
Dil mein chhupa kar toh dekho..!
Tumhari aankhon se na nikle toh kehna..!!
Ek lafz hai judai
Ise sah kar toh dekho..!
Tum toot ke bikhhar na jao toh kehna..!!
Ek lafz hai khuda
Use pukar kar toh dekho..!
Sab kuch paa na lo toh kehna..!!
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उसको रब से इतनी बार माँगा है
की अब हम सिर्फ हाथ उठाते है तो
सवाल फ़रिश्ते खुद ही लिख लेते है ।
Usko rab se itni baar maanga hai,
Ke ab hum sirf haath uthaate hain toh
Sawaal farishte khud hi likh lete hain..!!
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उन के देखे से जो आ जाती है मुँह पर रौनक़.!
वो समझते हैं कि बीमार का हाल अच्छा है .
उसको रब से इतनी बार माँगा है
की अब हम सिर्फ हाथ उठाते है तो
सवाल फ़रिश्ते खुद ही लिख लेते है ।
Usko rab se itni baar maanga hai,
Ke ab hum sirf haath uthaate hain toh
Sawaal farishte khud hi likh lete hain..!!
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उन के देखे से जो आ जाती है मुँह पर रौनक़.!
वो समझते हैं कि बीमार का हाल अच्छा है ..!!
Un ke dekhe se jo aa jaati hai munh par raunak.!
Wo samajhte hain ke beemaar ka haal accha hai..!!
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बहुत अजीब हैं तेरे बाद की,, ये बरसातें भी..!
हम अक्सर बन्द कमरे मैं भीग जाते हैं…!!
Bahut ajeeb hain tere baad ki, ye barsaatein bhi..!
Hum aksar band kamre mein bheeg jaate hain..!!
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तोड़ा कुछ इस अदा से तालुक़ उस ने ग़ालिब ..!
के सारी उम्र अपना क़सूर ढूँढ़ते रहे ..!!
Toda kuch is ada se talluq us ne Ghalib,
Ke saari umar apna kasoor dhoondhte rahe..!!
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रात तो पाबंद है वक़त पर लोट आती है रोज ..
नींद ही आवारा हो गई है आज कल ...
Raat toh paband hai waqt par laut aati hai roz..!
Neend hi awaara ho gayi hai aaj kal..!!
इस सादगी पे कौन न मर जाए ऐ ख़ुदा,
लड़ते हैं और हाथ में तलवार भी नहीं।
Is saadgi pe kaun na mar jaaye ae khuda,
Ladte hain aur haath mein talwaar bhi nahi..!!
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खवाहिश नही मुझे मशहुर होने की….
तुम मुझे पहचानते हो, बस इतना ही काफी है..
Khwaahish nahi mujhe mashhoor hone ki..!
Tum mujhe pehch
इस सादगी पे कौन न मर जाए ऐ ख़ुदा,
लड़ते हैं और हाथ में तलवार भी नहीं।
Is saadgi pe kaun na mar jaaye ae khuda,
Ladte hain aur haath mein talwaar bhi nahi..!!
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खवाहिश नही मुझे मशहुर होने की….
तुम मुझे पहचानते हो, बस इतना ही काफी है..
Khwaahish nahi mujhe mashhoor hone ki..!
Tum mujhe pehchaante ho, bas itna hi kaafi hai..!!
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कुछ तो बात है उसकी फीतरत मै,
वरना उसे चाहने की खता हम बार-बार न करते…!!!
Kuch toh baat hai uski fitrat mein,
Warna use chaahne ki khata hum baar-baar na karte..!!
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उल्टी हो गईं सब तदबीरें कुछ न दवा ने काम किया..!
देखा इस बीमारी-ए-दिल ने आख़िर काम तमाम किया..!!
Ulti ho gayi sab tadbeeren kuch na dawa ne kaam kiya..!
Dekha is beemari-e-dil ne aakhir kaam tamaam kiya..!!
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अब तो उतनी भी मयस्सर नहीं मय-ख़ाने में.!
जितनी हम छोड़ दिया करते थे पैमाने में..!!
Ab toh utni bhi mayassar nahi may-khaane mein,
Jitni hum chhod diya karte the paimane mein..!!
“रातों को आवारगी की आदत तो हम दोनों में थी.!!
अफ़सोस चाँद को ग्रहण और मुझे इश्क हो गया.!!”
Raato ko awargi ki aadat toh hum dono mein thi..!
Afsoos chaand ko grahan aur mujhe ishq ho gaya..!!
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तोड़ा कुछ इस अदा से तालुक़ उस ने ग़ालिब .!
के सारी उम्र अपना क़सूर ढूँढ़ते रहे ..!!
Toda kuch is ada se talluq us ne Ghalib..!
Ke saari umar apna kasoor dhoondhte rahe..!!
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खुदा के वास्ते पर्दा न रुख्सार से उठा ज़ालिम..!
कहीं ऐसा न हो जहाँ भी वही काफिर सनम निकले ..!!
Khuda ke waaste parda na rukhsaar se uthaa zaalim..!
Kahin aisa na ho jahan bhi wahi kaafir sanam nikle..!!
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तोड़ा कुछ इस अदा से तालुक़ उस ने ग़ालिब ..!!
के सारी उम्र अपना क़सूर ढूँढ़ते रहे ...!!!
Khuda ke waaste parda na rukhsaar se uthaa zaalim..!
Kahin aisa na ho jahan bhi wahi kaafir sanam nikle..!!
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कल रात उसको ख्वाब मे गले से लगाया था मैने..!
आज दिन भर मेरे दोस्त मेरी महक का राज पूछते रहे…!!
Kal raat usko khwaab mein gale se lagaya tha maine..!
Aaj din bhar mere dost meri mehak ka raaz poochhte rahe..!!
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बड़ा मीठा नशा था उसकी याद का..!
वक्त गुजरता गया और हम आदी होते गए..!!
Bada meetha nasha tha uski yaad ka..!
Waqt guzarta gaya aur hum aadi hote gaye..!!
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