हर पल में बदल रहे है सपने कुछ इस कदर...!
हर पल में जीने के मायने बदल रहे है हम...!!
कुछ इस तरह मशगूल हुए जिंदगी में हम ...!
हर पल में में ज़िंदगी के रास्ते बदल रहे है हम...!!
आज जमाना हो गया उन राहो से गुज़ारे हुए..!
जिन राहो ने चलना सिखाया था कभी...!!
मेरे सपनो में उन अपनों की काशक आज भी है .!
अपनों की आँखों में ,मेरे लौट आने की उम्मीद आज भी है
हर पल में बदल रहे है सपने कुछ इस कदर...!
हर पल में जीने के मायने बदल रहे है हम...!!
कुछ इस तरह मशगूल हुए जिंदगी में हम ...!
हर पल में में ज़िंदगी के रास्ते बदल रहे है हम...!!
आज जमाना हो गया उन राहो से गुज़ारे हुए..!
जिन राहो ने चलना सिखाया था कभी...!!
मेरे सपनो में उन अपनों की काशक आज भी है .!
अपनों की आँखों में ,मेरे लौट आने की उम्मीद आज भी है..!!
माँ के दामन को उम्र की दहलीज़ पर अकेला छोड़ आये हम ..!
उनकी यांदो की तड़प मेरे दिल में आज भी है..!!
आज मंजिल के करीब होकर भी एक अजीब ही उलझन है.!
एक अजीब से कश्मकश में बस जिए जा रहे है हम...!!
ख्वाबो को पूरा करते करते हम बहुत दूर निकलआये हे .!
अपनी ज़रूरतें पूरी करते करते ,अपनों को कहा छोड़ आये हम.!!
हर पल में बदल रहे है सपने कुछ इस कदर...!
हर पल में जीने के मायने बदल रहे है हम...!!
उसकी आँखों मे वो कशिश आज भी है ..!
उसके लिए कुछ कर गुजरने का ज़ज़्बा आज भी है..!!
उसकी हस्ती ही कुछ ऐसी है यारों .!
हर पल उसके इंतज़ार मे जीने का मज़ा आज भी है.!!
ज़माने ने हमे पिलाने की कोशिश हर बार की है .!
और हमने ज़माने को समझाने की कोशिश हर बार की है .!!
उसका सुरूर आखो से उतरने तो दो यारों .!
हमे नशे मे रहने की आदत आज भी है ..!!
आज कश्मकश में ज़िंदगी है,या ज़िंदगी है कश्मकश..!
आज कुछ उलझे सवालो को सुलझाने में है कश्मकश ..!!
आज सो चुके सपनो को जगाने में है कश्मकश ..!
बिगड़े रिश्तो को सँभालने में है कश्मकश...!!
और नए रिश्तो को आजमाने में है कश्मकश..!
ज़िंदगी एक सवाल है और इसके हर जवाब में है कश्मकश..!!
मंजिलो पर पहुंच कर उस सुकून के एहसास में है कश्मकश..!
आज सब कुछ पाकर भी क
आज कश्मकश में ज़िंदगी है,या ज़िंदगी है कश्मकश..!
आज कुछ उलझे सवालो को सुलझाने में है कश्मकश ..!!
आज सो चुके सपनो को जगाने में है कश्मकश ..!
बिगड़े रिश्तो को सँभालने में है कश्मकश...!!
और नए रिश्तो को आजमाने में है कश्मकश..!
ज़िंदगी एक सवाल है और इसके हर जवाब में है कश्मकश..!!
मंजिलो पर पहुंच कर उस सुकून के एहसास में है कश्मकश..!
आज सब कुछ पाकर भी कुछ और पाने की है कश्मकश..!!
आज नई मंज़िले भी है, और नए रस्ते भी ,फिर भी नए रास्तों पर चलने मैं है कश्मकश ...!
आज कश्मकश में ज़िंदगी है,या ज़िंदगी है कश्मकश..!!
कभी अधूरे सपनो को पूरा करने की ज़िद है ..!
अपने उसूलो के लिए ज़माने से लड़ने की ज़िद है ..!!
आज झुठ को सच साबित करने की ज़िद है ..!
यारो के लिए किसी भी हद तक गुज़र जाने की जींद हे..!!
उनकी 'ना' को .!
'हाँ' में बदलने की ज़िद है ..!!
फिर उनकी बेवफाई पर .!
सारे मयखाने खाली करने की ज़िद है ..! !
आज हर दर्द को .!
धुओं के छल्ले में उड़ाने की ज़िद है..!!
आज हर मुकाम को हासिल करने की ज़िद है ..!
उस एक मुकाम के लिए खुद को फनाह करने की ज़िद है ..!!
ज़माने को हमारी ये ज़िद पसंद नहीं ..!
और अपनी ज़िद के लिए हमे ये ज़माना पसंद नहीं ..!!
ज़िद का आलम तो कुछ ऐसा है यारो..!
आज में हूँ और मेरी ये ज़िद है ...!!!!
ज़र्रे ज़र्रे पर अपना नाम लिखने चले है ..!
आज ख़्वाबों को हकीकत में बदलने चलें है..!!
अब हम इन मुश्किल रहो पर चले हे ..!
अब दुनिया में कुछ हासिल करने चले हे ..!!
राह कठिन हे मंज़िल दूर है .!
आज सारी दूरिया मिटाने चले है ..!!
कहते हे लोग ,दूर हे मंजिल ,हार जाओगे तुम भी ..!
आज हर हार को जीत में बदलने चले हे ..!!
बदलने को सारी में दुनिया बदल दूँ ..!
आज हवा का हर रुख बदलने चलें हे ..!!
आज तूफान में कश्ती लेकर चले है .!
आज साहिल पर दुनिया बसाने चले है ..!!
अपने ख्यालो में अपनी ही धुन में .!
में अपनी हस्ती बनाने चला हूँ..!!
आज मेरी तरकश में तीर बहुत है.!
में अपनी मंज़िल को निशाना बनाने चला हूँ .!!
हाथों की टेडी लकीरो पर चलना है .!
आज अपने हाथों से किस्मत बदलना है ..!!
आज 'हम' से हमारी कोई शक्शियत ना पूछे ..!
आप ' हम ' से अभी वाक़िफ़ ना हो ..!!
आज 'हम' से हमारी हस्ती ना पूछो .!
आप 'हम' से अभी वाकिफ ना हो ..!!
जब हम चलते है तो दुनिया चलती है ..!
जब हम बदलते हे तो इतिहास बदलते हे .!!
तूँफा में भी कश्ती चलना हमें आता है ..!
दरिया के साथ भी बहना हमें आता हे .!!
हम कल की नहीं सोचते ..!
आज में जीना हमें आता है ..!!
अके
आज 'हम' से हमारी कोई शक्शियत ना पूछे ..!
आप ' हम ' से अभी वाक़िफ़ ना हो ..!!
आज 'हम' से हमारी हस्ती ना पूछो .!
आप 'हम' से अभी वाकिफ ना हो ..!!
जब हम चलते है तो दुनिया चलती है ..!
जब हम बदलते हे तो इतिहास बदलते हे .!!
तूँफा में भी कश्ती चलना हमें आता है ..!
दरिया के साथ भी बहना हमें आता हे .!!
हम कल की नहीं सोचते ..!
आज में जीना हमें आता है ..!!
अकेले चलने की आदत नहीं.!
दुश्मनों को भी दोस्त बनना हमें आता हे ..!!
हकीकत से रूबरू होकर सपनो की दुनिया मे हम जीते है .!
हर सपने को हकीकत में बदलना हमें आता हे .
ऐ खादी के रखवालों ,हमारी ख़ामोशी को हमारी कमज़ोरी मत समझना ..!
बिना बोले भी हमें सत्ता बदलना हमें आता है .!
हम खुद बदले या ना बदलें .!
दुनिया बदलना हमें आता हे ..!!
एक अजीब से शहर में आ गया हूँ में
इस भीड़ में शामिल हो गया हूँ मे..!!
यहाँ रोनक भी है यहाँ शोहरत भी है ..!
यहाँ पैसा ही सबकी ज़रूरत भी हैं..!!
हुनर हे तुममे तो कीमत भी है ..!
मांगने पर यहाँ लानत भी है ..!!
ढूढ़ने पर मिलता है अपनापन यहाँ .!
पर उस अपनेपन की यहाँ कीमत भी है ..!!
एक नाम की तलाश मे आते है लोग .!
खुद ही तलाश बन जाते है लोग ..!!
समंदर के कि
एक अजीब से शहर में आ गया हूँ में
इस भीड़ में शामिल हो गया हूँ मे..!!
यहाँ रोनक भी है यहाँ शोहरत भी है ..!
यहाँ पैसा ही सबकी ज़रूरत भी हैं..!!
हुनर हे तुममे तो कीमत भी है ..!
मांगने पर यहाँ लानत भी है ..!!
ढूढ़ने पर मिलता है अपनापन यहाँ .!
पर उस अपनेपन की यहाँ कीमत भी है ..!!
एक नाम की तलाश मे आते है लोग .!
खुद ही तलाश बन जाते है लोग ..!!
समंदर के किनारे बसा ये शहर .!
लोगो के समंदर मे खड़ा हूँ मे ..!!
फिर भी यहाँ तनाह अकेला हूँ मे .!!!
यहाँ महफ़िल भी है यहाँ शमा भी हे .!
पर महफ़िलो मे एक अजीब सी तन्हाई भी हे ..!!
रातों को जगाता हुआ ये शहर ..!
आतंक से सहमा हुआ ये शहर ..!!
एक अजीब से शहर में आ गया हं में ..
इस भीड़ में शामिल हो गया हूँ मे..!!
न कभी अपनी ख़ामोशी बयां कर सके ..!
न कभी उनकी उलझन समझ सके ..!!
ज़िंदगी की कश्मकश में वक़्त यु निकल गया .!
ना वो सवाल कर सके ना हम जवाब बन सके ..!!
ज़िंदगी के कुछ मोड़ पर.!
ना कभी वो गलत थे,ना कभी हम गलत थे .!!
वक़्त के उस दौर को ..!
ना कभी हम समझ सके,ना कभी वो समझ सकें ..!!
ज़िंदगी की कश्मकश में वक़्त यु निकल गया .!
ना वो सवाल कर सके ना हम जवाब बन सके ..!!
कुछ तो बात है इन आखों में,खामोश रखकर भी ,सब कुछ बयां कर देती ये आँखें.!
लब कितने भी मुस्कुराये पर ये आँखें ,दिल के सरे राज खोल देती है ..!!
लोग हर वक़्त मुस्कुराने की खोशिस करते है.!
अपने हर गम को छुपाने की कोशिश करते है ..!!
पर ये आखें कुछ न कह कर भी, सब कुछ बयां कर देती है .!
दुनिया के सामने बेचैन दिल के सरे राज खोल देती है..!!
कोई आँखो की ग
कुछ तो बात है इन आखों में,खामोश रखकर भी ,सब कुछ बयां कर देती ये आँखें.!
लब कितने भी मुस्कुराये पर ये आँखें ,दिल के सरे राज खोल देती है ..!!
लोग हर वक़्त मुस्कुराने की खोशिस करते है.!
अपने हर गम को छुपाने की कोशिश करते है ..!!
पर ये आखें कुछ न कह कर भी, सब कुछ बयां कर देती है .!
दुनिया के सामने बेचैन दिल के सरे राज खोल देती है..!!
कोई आँखो की गहराई मई डूबकर ग़ालिब बन गया .!
कोई आँखों को पड़ने का हुनर सिख कर इंसान बन गया ..!!
महखानो में इंसान की मदहोशी का पैमाना है ये आँखें .!
नशे में लड़खड़ाते कदमो का सहारा हे ये आँखें.!!
ख़ुशी मई झलके तो महफ़िल मई चार छान चाँद लगा देती यही ये आँखें .!
और गम में झलक जाये तो सैलाब ले आती हे ये आँखें ..!!
जिन कहानियो को लफ्ज़ बयां न कर सके .!
उन कहानियो को मुकाम तक पहुँचती है ये आँखें .!!
दिल और दिमाग को सचाई से रूबरू कराती है ये आखें..!
लब कितना भी मुस्कुराये पर हमेशा सचाई दिखती है ये आँखें.!!
कुछ मासूम सवालो से ,कुछ उम्मीद भरी निगाहो से ..!
मेरे देश को निहारता मेरे देश का बच्चपन..!!
जंग लग चुकी किलो में ,काली पढ़ चुकी हथेलियों में...!
सपने तलाशता मेरे देश का बच्चपन..!!
झूठे चाय के पायलो में ,और बदनाम गलियारों में..!
आज भी पोछा लगता मेरे देश का बच्चपन..!!
और फिर अपनी नादान गलतियों पे ,कुछ समाज के ठेकेदारों से ..!
गालियाँ खाता आज मेरे देश का बच्चपन ..!!
दो वक़्त की रोटी के लिए
और कुछ बुनियादी ज़रूरतों के लिए .!
मेरे देश की संसद में , नेताओ की राजनीती देख..!
शर्मशार होता मेरे देश का बच्चपन..!!
आज हर नुक्कड़ चौराहे से अपने मासूम सवालो से..!
और कुछ उम्मीद बहरी निगाहो से मेरे देश को निहारता मेरे देश का बच्चपन..!!
ये बारिश की बुँदे,ये ठंडी हवा के झोंखे..!
ये मशरूफ ज़िंदगी मै दिल की बेचैनी क्यों...!!
वो ढलती हुई शामे.!
ओर मेरे रूम की खिड़की ..!!
ये अपनों की उमीदे पर.!
खुद से बेरुखी क्यों ..!!
ये शिखर का आगाज़ है.!
या सफर का अंजाम .!!
ये बनते बिगडते रिश्तो को ..!
बांधे एक नाज़ुक सी डोर..!!
यहाँ सब कुछ पाकर भी ..!
हे आँखों मै ख़ामोशी क्यों .!!
आज अपनों के पास होकर भी .!
न होने का एहसास क्यों..!!
ये शिखर का आगाज़ है.!
या सफर का अंजाम .!!
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