हर पल में बदल रहे है सपने कुछ इस कदर...!
हर पल में जीने के मायने बदल रहे है हम...!!
कुछ इस तरह मशगूल हुए जिंदगी में हम ...!
हर पल में में ज़िंदगी के रास्ते बदल रहे है हम...!!
आज जमाना हो गया उन राहो से गुज़ारे हुए..!
जिन राहो ने चलना सिखाया था कभी...!!
मेरे सपनो में उन अपनों की काशक आज भी है .!
अपनों की आँखों में ,मेरे लौट आने की उम्मीद आज भी है
हर पल में बदल रहे है सपने कुछ इस कदर...!
हर पल में जीने के मायने बदल रहे है हम...!!
कुछ इस तरह मशगूल हुए जिंदगी में हम ...!
हर पल में में ज़िंदगी के रास्ते बदल रहे है हम...!!
आज जमाना हो गया उन राहो से गुज़ारे हुए..!
जिन राहो ने चलना सिखाया था कभी...!!
मेरे सपनो में उन अपनों की काशक आज भी है .!
अपनों की आँखों में ,मेरे लौट आने की उम्मीद आज भी है..!!
माँ के दामन को उम्र की दहलीज़ पर अकेला छोड़ आये हम ..!
उनकी यांदो की तड़प मेरे दिल में आज भी है..!!
आज मंजिल के करीब होकर भी एक अजीब ही उलझन है.!
एक अजीब से कश्मकश में बस जिए जा रहे है हम...!!
ख्वाबो को पूरा करते करते हम बहुत दूर निकलआये हे .!
अपनी ज़रूरतें पूरी करते करते ,अपनों को कहा छोड़ आये हम.!!
हर पल में बदल रहे है सपने कुछ इस कदर...!
हर पल में जीने के मायने बदल रहे है हम...!!
Har pal mein badal rahe hain sapne kuch is kadar...! Har pal mein jeene ke maayne badal rahe hain hum...!!
Kuch is tarah mashghool hue zindagi mein hum ...!
Har pal mein zindagi ke raste badal rahe hain hum...!!
Aaj zamaana ho gaya un raahon se guzaare hue..!
Jin raahon ne chalna sikhaya tha kabhi...!!
Mere sapnon mein un apnon ki kashak aaj bhi hai..! Apnon ki aankhon mein, mere laut aane ki umeed aaj bhi hai..!!
Maa ke daaman ko umr ki dehleez par akela chhod aaye hum..! Unki yaadon ki tadap mere dil mein aaj bhi hai..!!
Aaj manzil ke kareeb hokar bhi ek ajeeb hi uljhan hai..! Ek ajeeb si kashmakash mein bas jiye ja rahe hain hum...!!
Khwaabon ko poora karte karte hum bahut door nikal aaye hain..! Apni zaruratein poori karte karte, apnon ko kahan chhod aaye hum..!!
Har pal mein badal rahe hain sapne kuch is kadar...! Har pal mein jeene ke maayne badal rahe hain hum...!!
By Chetan Yamger
उसकी आँखों मे वो कशिश आज भी है ..!
उसके लिए कुछ कर गुजरने का ज़ज़्बा आज भी है..!!
उसकी हस्ती ही कुछ ऐसी है यारों .!
हर पल उसके इंतज़ार मे जीने का मज़ा आज भी है.!!
ज़माने ने हमे पिलाने की कोशिश हर बार की है .!
और हमने ज़माने को समझाने की कोशिश हर बार की है .!!
उसका सुरूर आखो से उतरने तो दो यारों .!
हमे नशे मे रहने की आदत आज भी है ..!!
Uski aankh
उसकी आँखों मे वो कशिश आज भी है ..!
उसके लिए कुछ कर गुजरने का ज़ज़्बा आज भी है..!!
उसकी हस्ती ही कुछ ऐसी है यारों .!
हर पल उसके इंतज़ार मे जीने का मज़ा आज भी है.!!
ज़माने ने हमे पिलाने की कोशिश हर बार की है .!
और हमने ज़माने को समझाने की कोशिश हर बार की है .!!
उसका सुरूर आखो से उतरने तो दो यारों .!
हमे नशे मे रहने की आदत आज भी है ..!!
Uski aankhon mein wo kashish aaj bhi hai..!
Uske liye kuch kar guzarna ka jazba aaj bhi hai..!!
Uski hasti hi kuch aisi hai yaaron..!
Har pal uske intezaar mein jeene ka maza aaj bhi hai..!!
Zamaane ne hume pilaane ki koshish har baar ki hai..!
Aur humne zamaane ko samjhaane ki koshish har baar ki hai..!!
Uska surur aankhon se utarne to do yaaron..! Hume nashe mein rehne ki aadat aaj bhi hai..!!
By Chetan Yamger
आज कश्मकश में ज़िंदगी है,या ज़िंदगी है कश्मकश..!
आज कुछ उलझे सवालो को सुलझाने में है कश्मकश ..!!
आज सो चुके सपनो को जगाने में है कश्मकश ..!
बिगड़े रिश्तो को सँभालने में है कश्मकश...!!
और नए रिश्तो को आजमाने में है कश्मकश..!
ज़िंदगी एक सवाल है और इसके हर जवाब में है कश्मकश..!!
मंजिलो पर पहुंच कर उस सुकून के एहसास में है कश्मकश..!
आज सब कुछ पाकर भी क
आज कश्मकश में ज़िंदगी है,या ज़िंदगी है कश्मकश..!
आज कुछ उलझे सवालो को सुलझाने में है कश्मकश ..!!
आज सो चुके सपनो को जगाने में है कश्मकश ..!
बिगड़े रिश्तो को सँभालने में है कश्मकश...!!
और नए रिश्तो को आजमाने में है कश्मकश..!
ज़िंदगी एक सवाल है और इसके हर जवाब में है कश्मकश..!!
मंजिलो पर पहुंच कर उस सुकून के एहसास में है कश्मकश..!
आज सब कुछ पाकर भी कुछ और पाने की है कश्मकश..!!
आज नई मंज़िले भी है, और नए रस्ते भी ,फिर भी नए रास्तों पर चलने मैं है कश्मकश ...!
आज कश्मकश में ज़िंदगी है,या ज़िंदगी है कश्मकश..!!
Aaj kashmakash mein zindagi hai, ya zindagi hai kashmakash..!
Aaj kuch uljhe sawaalon ko suljhane mein hai kashmakash..!!
Aaj so chuke sapno ko jagaane mein hai kashmakash..!
Bigde rishton ko sambhalne mein hai kashmakash...!!
Aur naye rishton ko aazmane mein hai kashmakash..!
Zindagi ek sawaal hai aur iske har jawab mein hai kashmakash..!!
Manzilon par pahunch kar us sukoon ke ehsaas mein hai kashmakash..!
Aaj sab kuch paakar bhi kuch aur paane ki hai kashmakash..!!
Aaj nai manzilein bhi hain, aur naye raste bhi, phir bhi naye raaston par chalne mein hai kashmakash...!
Aaj kashmakash mein zindagi hai, ya zindagi hai kashmakash..!!
By Chetan Yamger
कभी अधूरे सपनो को पूरा करने की ज़िद है ..!
अपने उसूलो के लिए ज़माने से लड़ने की ज़िद है ..!!
आज झुठ को सच साबित करने की ज़िद है ..!
यारो के लिए किसी भी हद तक गुज़र जाने की जींद हे..!!
उनकी 'ना' को .!
'हाँ' में बदलने की ज़िद है ..!!
फिर उनकी बेवफाई पर .!
सारे मयखाने खाली करने की ज़िद है ..! !
आज हर दर्द को .!
धुओं के छल्ले में उड़ाने की ज़िद है..!!
आज हर मुकाम को हासिल करने की ज़िद है ..!
उस एक मुकाम के लिए खुद को फनाह करने की ज़िद है ..!!
ज़माने को हमारी ये ज़िद पसंद नहीं ..!
और अपनी ज़िद के लिए हमे ये ज़माना पसंद नहीं ..!!
ज़िद का आलम तो कुछ ऐसा है यारो..!
आज में हूँ और मेरी ये ज़िद है ...!!!!
Kabhi adhure sapno ko poora karne ki zidd hai..!
Apne usoolon ke liye zamaane se ladne ki zidd hai..!!
Aaj jhoot ko sach saabit karne ki zidd hai..!
Yaaron ke liye kisi bhi had tak guzar jaane ki zidd hai..!!
Unki 'na' ko..!
'Ha' mein badalne ki zidd hai..!!
Phir unki bewafaai par..!
Saare maikhane khaali karne ki zidd hai..!!
Aaj har dard ko..!
Dhuon ke chhalle mein udaane ki zidd hai..!!
Aaj har mukaam ko haasil karne ki zidd hai..!
Us ek mukaam ke liye khud ko fanaah karne ki zidd hai..!!
Zamaane ko hamari ye zidd pasand nahi..!
Aur apni zidd ke liye hume ye zamaana pasand nahi..!!
Zidd ka aalam to kuch aisa hai yaaron..!
Aaj main hoon aur meri ye zidd hai...!!!!
By Chetan Yamger
ज़र्रे ज़र्रे पर अपना नाम लिखने चले है ..!
आज ख़्वाबों को हकीकत में बदलने चलें है..!!
अब हम इन मुश्किल रहो पर चले हे ..!
अब दुनिया में कुछ हासिल करने चले हे ..!!
राह कठिन हे मंज़िल दूर है .!
आज सारी दूरिया मिटाने चले है ..!!
कहते हे लोग ,दूर हे मंजिल ,हार जाओगे तुम भी ..!
आज हर हार को जीत में बदलने चले हे ..!!
बदलने को सारी में दुनिया बदल दूँ ..!
आज हवा का हर रुख बदलने चलें हे ..!!
आज तूफान में कश्ती लेकर चले है .!
आज साहिल पर दुनिया बसाने चले है ..!!
अपने ख्यालो में अपनी ही धुन में .!
में अपनी हस्ती बनाने चला हूँ..!!
आज मेरी तरकश में तीर बहुत है.!
में अपनी मंज़िल को निशाना बनाने चला हूँ .!!
हाथों की टेडी लकीरो पर चलना है .!
आज अपने हाथों से किस्मत बदलना है ..!!
Zarre zarre par apna naam likhne chale hain..!
Aaj khwaabon ko haqeeqat mein badalne chale hain..!!
Ab hum in mushkil raahon par chale hain..!
Ab duniya mein kuch haasil karne chale hain..!!
Raah kathin hai manzil door hai..!
Aaj saari dooriyan mitaane chale hain..!!
Kehte hain log, door hai manzil, haar jaaoge tum bhi..!
Aaj har haar ko jeet mein badalne chale hain..!!
Badalne ko saari duniya badal doon..!
Aaj hawa ka har rukh badalne chale hain..!!
Aaj toofan mein kashti lekar chale hain..!
Aaj saahil par duniya basaane chale hain..!!
Apne khayalon mein apni hi dhun mein..!
Main apni hasti banaane chala hoon..!!
Aaj meri tarkash mein teer bahut hain..!
Main apni manzil ko nishaana banaane chala hoon..!!
Haathon ki tedhi lakeeron par chalna hai..!
Aaj apne haathon se kismat badalne chala hoon..!!
By Chetan Yamger
आज 'हम' से हमारी कोई शक्शियत ना पूछे ..!
आप ' हम ' से अभी वाक़िफ़ ना हो ..!!
आज 'हम' से हमारी हस्ती ना पूछो .!
आप 'हम' से अभी वाकिफ ना हो ..!!
जब हम चलते है तो दुनिया चलती है ..!
जब हम बदलते हे तो इतिहास बदलते हे .!!
तूँफा में भी कश्ती चलना हमें आता है ..!
दरिया के साथ भी बहना हमें आता हे .!!
हम कल की नहीं सोचते ..!
आज में जीना हमें आता है ..!!
अके
आज 'हम' से हमारी कोई शक्शियत ना पूछे ..!
आप ' हम ' से अभी वाक़िफ़ ना हो ..!!
आज 'हम' से हमारी हस्ती ना पूछो .!
आप 'हम' से अभी वाकिफ ना हो ..!!
जब हम चलते है तो दुनिया चलती है ..!
जब हम बदलते हे तो इतिहास बदलते हे .!!
तूँफा में भी कश्ती चलना हमें आता है ..!
दरिया के साथ भी बहना हमें आता हे .!!
हम कल की नहीं सोचते ..!
आज में जीना हमें आता है ..!!
अकेले चलने की आदत नहीं.!
दुश्मनों को भी दोस्त बनना हमें आता हे ..!!
हकीकत से रूबरू होकर सपनो की दुनिया मे हम जीते है .!
हर सपने को हकीकत में बदलना हमें आता हे .
ऐ खादी के रखवालों ,हमारी ख़ामोशी को हमारी कमज़ोरी मत समझना ..!
बिना बोले भी हमें सत्ता बदलना हमें आता है .!
हम खुद बदले या ना बदलें .!
दुनिया बदलना हमें आता हे ..!!
Aaj 'hum' se hamari koi shakhsiyat na poocho..! Aap 'hum' se abhi waaqif na ho..!!
Aaj 'hum' se hamari hasti na poocho..!
Aap 'hum' se abhi waaqif na ho..!!
Jab hum chalte hain to duniya chalti hai..!
Jab hum badalte hain to itihaas badalte hain..!!
Toofan mein bhi kashti chalana humein aata hai..!
Dariya ke saath bhi behna humein aata hai..!!
Hum kal ki nahi sochte..!
Aaj mein jeena humein aata hai..!!
Akele chalne ki aadat nahi..!
Dushmanon ko bhi dost banana humein aata hai..!!
Haqeeqat se rubaru hokar sapno ki duniya mein hum jeete hain..!
Har sapne ko haqeeqat mein badalna humein aata hai..!!
Ae khaadi ke rakhwaalon, hamari khaamoshi ko hamari kamzori mat samajhna..!
Bina bole bhi humein satta badalna aata hai..!!
Hum khud badlein ya na badlein..!
Duniya badalna humein aata hai..!!
By Chetan Yamger
एक अजीब से शहर में आ गया हूँ में
इस भीड़ में शामिल हो गया हूँ मे..!!
यहाँ रोनक भी है यहाँ शोहरत भी है ..!
यहाँ पैसा ही सबकी ज़रूरत भी हैं..!!
हुनर हे तुममे तो कीमत भी है ..!
मांगने पर यहाँ लानत भी है ..!!
ढूढ़ने पर मिलता है अपनापन यहाँ .!
पर उस अपनेपन की यहाँ कीमत भी है ..!!
एक नाम की तलाश मे आते है लोग .!
खुद ही तलाश बन जाते है लोग ..!!
समंदर के कि
एक अजीब से शहर में आ गया हूँ में
इस भीड़ में शामिल हो गया हूँ मे..!!
यहाँ रोनक भी है यहाँ शोहरत भी है ..!
यहाँ पैसा ही सबकी ज़रूरत भी हैं..!!
हुनर हे तुममे तो कीमत भी है ..!
मांगने पर यहाँ लानत भी है ..!!
ढूढ़ने पर मिलता है अपनापन यहाँ .!
पर उस अपनेपन की यहाँ कीमत भी है ..!!
एक नाम की तलाश मे आते है लोग .!
खुद ही तलाश बन जाते है लोग ..!!
समंदर के किनारे बसा ये शहर .!
लोगो के समंदर मे खड़ा हूँ मे ..!!
फिर भी यहाँ तनाह अकेला हूँ मे .!!!
यहाँ महफ़िल भी है यहाँ शमा भी हे .!
पर महफ़िलो मे एक अजीब सी तन्हाई भी हे ..!!
रातों को जगाता हुआ ये शहर ..!
आतंक से सहमा हुआ ये शहर ..!!
एक अजीब से शहर में आ गया हं में ..
इस भीड़ में शामिल हो गया हूँ मे..!!
Ek ajeeb se shehar mein aa gaya hoon main Is bheed mein shaamil ho gaya hoon main..!!
Yahaan raunak bhi hai yahaan shohrat bhi hai..! Yahaan paisa hi sabki zaroorat bhi hai..!!
Hunar hai tum mein to keemat bhi hai..! Maangne par yahaan laanat bhi hai..!!
Dhoondhne par milta hai apnapan yahaan..!
Par us apnapan ki yahaan keemat bhi hai..!!
Ek naam ki talaash mein aate hain log..!
Khud hi talaash ban jaate hain log..!!
Samundar ke kinare basa ye shehar..!
Logon ke samundar mein khada hoon main..!!
Phir bhi yahaan tanha akela hoon main..!!!
Yahaan mehfil bhi hai yahaan shama bhi hai..! Par mehfilon mein ek ajeeb si tanhaai bhi hai..!!
Raato ko jagata hua ye shehar..!
Aatank se sehma hua ye shehar..!!
Ek ajeeb se shehar mein aa gaya hoon main.. Is bheed mein shaamil ho gaya hoon main..!!
By Chetan Yamger
न कभी अपनी ख़ामोशी बयां कर सके ..!
न कभी उनकी उलझन समझ सके ..!!
ज़िंदगी की कश्मकश में वक़्त यु निकल गया .!
ना वो सवाल कर सके ना हम जवाब बन सके ..!!
ज़िंदगी के कुछ मोड़ पर.!
ना कभी वो गलत थे,ना कभी हम गलत थे .!!
वक़्त के उस दौर को ..!
ना कभी हम समझ सके,ना कभी वो समझ सकें ..!!
ज़िंदगी की कश्मकश में वक़्त यु निकल गया .!
ना वो सवाल कर सके ना हम जवाब बन सके
न कभी अपनी ख़ामोशी बयां कर सके ..!
न कभी उनकी उलझन समझ सके ..!!
ज़िंदगी की कश्मकश में वक़्त यु निकल गया .!
ना वो सवाल कर सके ना हम जवाब बन सके ..!!
ज़िंदगी के कुछ मोड़ पर.!
ना कभी वो गलत थे,ना कभी हम गलत थे .!!
वक़्त के उस दौर को ..!
ना कभी हम समझ सके,ना कभी वो समझ सकें ..!!
ज़िंदगी की कश्मकश में वक़्त यु निकल गया .!
ना वो सवाल कर सके ना हम जवाब बन सके ..!!
Na kabhi apni khaamoshi bayaan kar sake..!
Na kabhi unki uljhan samajh sake..!!
Zindagi ki kashmakash mein waqt yun nikal gaya..!
Na wo sawaal kar sake, na hum jawab ban sake..!!
Zindagi ke kuch mod par..!
Na kabhi wo galat the, na kabhi hum galat the..!!
Waqt ke us daur ko..!
Na kabhi hum samajh sake, na kabhi wo samajh sake..!!
Zindagi ki kashmakash mein waqt yun nikal gaya..!
Na wo sawaal kar sake, na hum jawab ban sake..!!
By Chetan Yamger
कुछ तो बात है इन आखों में,खामोश रखकर भी ,सब कुछ बयां कर देती ये आँखें.!
लब कितने भी मुस्कुराये पर ये आँखें ,दिल के सरे राज खोल देती है ..!!
लोग हर वक़्त मुस्कुराने की खोशिस करते है.!
अपने हर गम को छुपाने की कोशिश करते है ..!!
पर ये आखें कुछ न कह कर भी, सब कुछ बयां कर देती है .!
दुनिया के सामने बेचैन दिल के सरे राज खोल देती है..!!
कोई आँखो की ग
कुछ तो बात है इन आखों में,खामोश रखकर भी ,सब कुछ बयां कर देती ये आँखें.!
लब कितने भी मुस्कुराये पर ये आँखें ,दिल के सरे राज खोल देती है ..!!
लोग हर वक़्त मुस्कुराने की खोशिस करते है.!
अपने हर गम को छुपाने की कोशिश करते है ..!!
पर ये आखें कुछ न कह कर भी, सब कुछ बयां कर देती है .!
दुनिया के सामने बेचैन दिल के सरे राज खोल देती है..!!
कोई आँखो की गहराई मई डूबकर ग़ालिब बन गया .!
कोई आँखों को पड़ने का हुनर सिख कर इंसान बन गया ..!!
महखानो में इंसान की मदहोशी का पैमाना है ये आँखें .!
नशे में लड़खड़ाते कदमो का सहारा हे ये आँखें.!!
ख़ुशी मई झलके तो महफ़िल मई चार छान चाँद लगा देती यही ये आँखें .!
और गम में झलक जाये तो सैलाब ले आती हे ये आँखें ..!!
जिन कहानियो को लफ्ज़ बयां न कर सके .!
उन कहानियो को मुकाम तक पहुँचती है ये आँखें .!!
दिल और दिमाग को सचाई से रूबरू कराती है ये आखें..!
लब कितना भी मुस्कुराये पर हमेशा सचाई दिखती है ये आँखें.!!
Na kabhi apni khaamoshi bayaan kar sake..!
Na kabhi unki uljhan samajh sake..!!
Zindagi ki kashmakash mein waqt yun nikal gaya..!
Na wo sawaal kar sake, na hum jawab ban sake..!!
Zindagi ke kuch mod par..!
Na kabhi wo galat the, na kabhi hum galat the..!!
Waqt ke us daur ko..!
Na kabhi hum samajh sake, na kabhi wo samajh sake..!!
Zindagi ki kashmakash mein waqt yun nikal gaya..!
Na wo sawaal kar sake, na hum jawab ban sake..!!
By Chetan Yamger
कुछ मासूम सवालो से ,कुछ उम्मीद भरी निगाहो से ..!
मेरे देश को निहारता मेरे देश का बच्चपन..!!
जंग लग चुकी किलो में ,काली पढ़ चुकी हथेलियों में...!
सपने तलाशता मेरे देश का बच्चपन..!!
झूठे चाय के पायलो में ,और बदनाम गलियारों में..!
आज भी पोछा लगता मेरे देश का बच्चपन..!!
और फिर अपनी नादान गलतियों पे ,कुछ समाज के ठेकेदारों से ..!
गालियाँ खाता आज मेरे देश का बच्चपन ..!!
दो वक़्त की रोटी के लिए
और कुछ बुनियादी ज़रूरतों के लिए .!
मेरे देश की संसद में , नेताओ की राजनीती देख..!
शर्मशार होता मेरे देश का बच्चपन..!!
आज हर नुक्कड़ चौराहे से अपने मासूम सवालो से..!
और कुछ उम्मीद बहरी निगाहो से मेरे देश को निहारता मेरे देश का बच्चपन..!!
Kuch masoom sawaalon se, kuch umeed bhari nigaahon se..!
Mere desh ko niharta mere desh ka bachpan..!!
Jang lag chuki qilon mein, kaali padh chuki hatheliyon mein...!
Sapne talaashta mere desh ka bachpan..!!
Jhoothe chai ke payalon mein, aur badnaam galiyon mein..!
Aaj bhi pocha lagata mere desh ka bachpan..!!
Aur phir apni nadaan galtiyon pe, kuch samaaj ke thekedaron se..!
Gaaliyaan khaata aaj mere desh ka bachpan..!!
Do waqt ki roti ke liye,Aur kuch buniyaadi zaruraton ke liye..!
Mere desh ki sansad mein, netaon ki raajneeti dekh,Sharmshaar hota mere desh ka bachpan..!!
Aaj har nukkad chauraha se apne masoom sawaalon se..!
Aur kuch umeed bhari nigaahon se mere desh ko niharta mere desh ka bachpan..!!
By Chetan Yamger
ये बारिश की बुँदे,ये ठंडी हवा के झोंखे..!
ये मशरूफ ज़िंदगी मै दिल की बेचैनी क्यों...!!
वो ढलती हुई शामे.!
ओर मेरे रूम की खिड़की ..!!
ये अपनों की उमीदे पर.!
खुद से बेरुखी क्यों ..!!
ये शिखर का आगाज़ है.!
या सफर का अंजाम .!!
ये बनते बिगडते रिश्तो को ..!
बांधे एक नाज़ुक सी डोर..!!
यहाँ सब कुछ पाकर भी ..!
हे आँखों मै ख़ामोशी क्यों .!!
आज अपनों के पास होकर भी .!
न होने का एहसास क्यों..!!
ये शिखर का आगाज़ है.!
या सफर का अंजाम .!!
Yeh baarish ki boondein, yeh thandi hawa ke jhonke..!
Yeh mashroof zindagi mein dil ki bechaini kyon...!!
Wo dhalti hui shaamein..!
Aur mere room ki khidki..!!
Yeh apnon ki umeedon par..!
Khud se berukhi kyon..!!
Yeh shikhar ka aagaaz hai..!
Ya safar ka anjaam..!!
Yeh bante bigadte rishton ko..!
Baandhe ek naazuk si dor..!!
Yahan sab kuch paakar bhi..!
Hai aankhon mein khaamoshi kyon..!!
Aaj apnon ke paas hokar bhi..!
Na hone ka ehsaas kyon..!!
Yeh shikhar ka aagaaz hai..!
Ya safar ka anjaam..!!
By Chetan Yamger
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