तू कितनी भी खुबसुरत क्यूँ ना हो ए ज़िंदगी
खुशमिजाज़ दोस्तों के बगैर तु अच्छी नहीं लगती..!!
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जिंदगी यूँ हुई बसर तन्हा...!
काफिला साथ और सफर तन्हा..!!
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तुमसे मिली जो जिंदगी, हमने अभी बोई नहीं..!
तेरे सिवा कोई न था, तेरे सिवा कोई नहीं..!!
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“ये तुमने ठीक कहा है, तुम्हें मिला ना करू
मगर मुझे ये बता दो कि क्यों उदास हो तुम?”
“तेरी यादों के जो आखिरी थे निशान,
दिल तड़पता रहा, हम मिटाते रहे…
ख़त लिखे थे जो तुमने कभी प्यार में,
उसको पढते रहे और जलाते रहे….”
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तेरे-करम-तो-हैं इतने कि याद हैं अब तक,
तेरे सितम हैं कुछ इतने कि हमको याद नहीं
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शायर बनना बहुत आसान हैं…!
बस एक अधूरी मोहब्बत की मुकम्मल डिग्री चाहिए…!!
कोई पूछ रहा हे मुझसे मेरी जिंदगी की कीमत…
मुझे याद आ रहा हैं तेरे हल्के से मुस्कुराना…
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मेरे-तेरे इश्क़ की छाँव मे, जल-जलकर! काला ना पड़ जाऊ कहीं !
तू मुझे हुस्न की धुप का एक टुकड़ा दे…!
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चाँद रातों के ख्वाब
उम्र भर की नींद मांगते हैं ॥
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बहोत अंदर तक जला देती है,
वो शिकायते जो बया नहीं होती
अपने होठों से चुन रहा हूँ, तुम्हारी सांसो की आयतो को
की जिसम के इस हसीन काबे पे ,रूह सजदे बिछा रही है।
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इक उर्म हुई मैं तो हंसी भूल चुका हूँ,
तुम अब भी मेरे दिल को दुखाना नही भूले ।
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ज़िन्दगी उसकी जिस की मौत पे ज़माना अफ़सोस करे ग़ालिब ,यूँ तो हर शक्श आता हैं इस दुनिया में मरने कि लिए ..!!
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आज हर ख़ामोशी को मिटा देने का मन है..!
जो भी छिपा रखा है मन में लुटा देने का मन है..!!
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“कभी कभी तो आवाज़ देकर
मुझको जगाया ख़्वाबो ने..!”
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गुल से लिपटी हुई तितली को गिराकर देखो,
आँधियों तुमने दरख्तों को गिराया होगा..!
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“पूछ कर अपनी निगाहों से बता दे मुझको,
मेरी राहों के मुकद्दर में सहर है कि नही..”
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बहुत मुश्किल से करता हूँ, तेरी यादों का कारोबार,
मुनाफा कम है, पर गुज़ारा हो ही जाता है…
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क्यूं इतने लफजो में मुझे चुनते हो,
इतनी ईंटें लगती है क्या एक खयाल दफनाने में?
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“पूछ कर अपनी निगाहों से बता दे मुझको,
मेरी राहों के मुकद्दर में सहर है कि नही..”
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बहुत मुश्किल से करता हूँ, तेरी यादों का कारोबार,
मुनाफा कम है, पर गुज़ारा हो ही जाता है…
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क्यूं इतने लफजो में मुझे चुनते हो,
इतनी ईंटें लगती है क्या एक खयाल दफनाने में?
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होंठ झुके जब होंठों पर, साँस उलझी हो साँसों में…
दो जुड़वा होंठों की, बात कहो आँखों से.!!
तेरे उतारे हुए दिन पहनके अब भी मैं,
तेरी महक में कई रोज़ काट देता हूँ !!
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“पलक से पानी गिरा है, तो उसको गिरने दो
कोई पुरानी तमन्ना, पिंघल रही होगी!!”
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एक सपने के टूटकर चकनाचूर हो जाने के बाद..
दूसरा सपना देखने के हौसले को ‘ज़िंदगी’ कहते हैं..
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तेरे उतारे हुए दिन पहनके अब भी मैं,
तेरी महक में कई रोज़ काट देता हूँ !!
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“पलक से पानी गिरा है, तो उसको गिरने दो
कोई पुरानी तमन्ना, पिंघल रही होगी!!”
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एक सपने के टूटकर चकनाचूर हो जाने के बाद..
दूसरा सपना देखने के हौसले को ‘ज़िंदगी’ कहते हैं..
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सुनो….ज़रा रास्ता तो बताना….
मोहब्बत के सफ़र से… वापसी है मेरी…..
सुनो…जब कभी देख लुं तुम को….
तो मुझे महसूस होता है कि दुनिया खूबसूरत है….
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कैसे एक लफ्ज़ में बयां कर दूँ..!
दिल को किस बात ने उदास किया ..!!
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खन खना खन है ख्यालों में..!
जरुर आज उसने कंगन पहने होंगे...!!
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हमें तामीर के धोखे में रखकर..!
हमारे ख्वाब चुनवाये गए हैं ..!!!
अब ये हसरत है कि सीने से लगाकर तुझको.!
इस क़दर रोऊँ की आंसू आ जाये...!!
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आइना देख कर तसल्ली हुई
हम को इस घर में जानता है कोई
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आँखों के पोछने से लगा आग का पता
यूँ चेहरा फेर लेने से छुपता नहीं धुआँ
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आदतन तुम ने कर दिए वादे...!
आदतन हम ने ए'तिबार किया...!!
लाज़िम था के देखे मेरा रास्ता कोई दिन और
तनहा गए क्यों , अब रहो तनहा कोई दिन और
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कितने शिरीन हैं तेरे लब के रक़ीब,गालियां खा के बेमज़ा न हुआ
कुछ तो पढ़िए की लोग कहते हैं,आज ‘ग़ालिब ‘ गजलसारा न हुआ
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इश्क़ मुझको नहीं वेहशत ही सही,मेरी वेहशत तेरी शोहरत ही सही
कटा कीजिए न तालुक हम से,कुछ नहीं है तो अदावत ही सही
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दिल से तेरी निगाह जिगर तक उतर गई ,दोनों को एक अदा में रजामंद कर गई
मारा ज़माने ने ‘ग़ालिब’ तुम को ,वो वलवले कहाँ , वो जवानी किधर गई
आप के बा'द हर घड़ी हम ने..!
आप के साथ ही गुज़ारी है.....!!
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चूल्हे नहीं जलाए कि बस्ती ही जल गई
कुछ रोज़ हो गए हैं अब उठता नहीं धुआँ
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एक ही ख़्वाब ने सारी रात जगाया है
मैं ने हर करवट सोने की कोशिश की
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जब भी ये दिल उदास होता है.!
जाने कौन आस-पास होता है..!!
कभी तो चौंक के देखे कोई हमारी तरफ़
किसी की आँख में हम को भी इंतिज़ार दिखे
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कल का हर वाक़िआ तुम्हारा था
आज की दास्ताँ हमारी है
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ख़ुशबू जैसे लोग मिले अफ़्साने में
एक पुराना ख़त खोला अनजाने में
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कितनी लम्बी ख़ामोशी से गुज़रा हूँ
उन से कितना कुछ कहने की कोशिश की
कोई ख़ामोश ज़ख़्म लगती है
ज़िंदगी एक नज़्म लगती है
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उसी का ईमाँ बदल गया है
कभी जो मेरा ख़ुदा रहा था
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ज़ख़्म कहते हैं दिल का गहना है
दर्द दिल का लिबास होता है
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ज़िंदगी पर भी कोई ज़ोर नहीं
दिल ने हर चीज़ पराई दी है
देर से गूँजते हैं सन्नाटे
जैसे हम को पुकारता है कोई
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दिल पर दस्तक देने कौन आ निकला है
किस की आहट सुनता हूँ वीराने में
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दिन कुछ ऐसे गुज़ारता है कोई
जैसे एहसाँ उतारता है कोई
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हम ने अक्सर तुम्हारी राहों में
रुक कर अपना ही इंतिज़ार किया
भरे हैं रात के रेज़े कुछ ऐसे आँखों में
उजाला हो तो हम आँखें झपकते रहते हैं
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हम ने माना कि तग़ाफ़ुल न करोगे लेकिन
ख़ाक हो जाएँगे हम तुम को ख़बर होते तक
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जिस की आँखों में कटी थीं सदियाँ
उस ने सदियों की जुदाई दी है
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मैं चुप कराता हूँ हर शब उमडती बारिश को
मगर ये रोज़ गई बात छेड़ देती है
फिर वहीं लौट के जाना होगा
यार ने कैसी रिहाई दी है
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राख को भी कुरेद कर देखो
अभी जलता हो कोई पल शायद
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रात गुज़रते शायद थोड़ा वक़्त लगे
धूप उन्डेलो थोड़ी सी पैमाने में
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रुके रुके से क़दम रुक के बार बार चले
क़रार दे के तिरे दर से बे-क़रार चले
हम कहाँ के दाना थे किस हुनर में यकता थे
बे-सबब हुआ 'ग़ालिब' दुश्मन आसमाँ अपना
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सहमा सहमा डरा सा रहता है
जाने क्यूँ जी भरा सा रहता है
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शाम से आँख में नमी सी है
आज फिर आप की कमी सी है
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तुम्हारे ख़्वाब से हर शब लिपट के सोते हैं
सज़ाएँ भेज दो हम ने ख़ताएँ भेजी हैं
वक़्त रहता नहीं कहीं टिक कर
आदत इस की भी आदमी सी है
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वो एक दिन एक अजनबी को
मिरी कहानी सुना रहा था
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वो उम्र कम कर रहा था मेरी
मैं साल अपने बढ़ा रहा था
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यादों की बौछारों से जब पलकें भीगने लगती हैं
सोंधी सोंधी लगती है तब माज़ी की रुस्वाई भी
ये दिल भी दोस्त ज़मीं की तरह
हो जाता है डाँवा-डोल कभी
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ये रोटियाँ हैं ये सिक्के हैं और दाएरे हैं
ये एक दूजे को दिन भर पकड़ते रहते हैं
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ये शुक्र है कि मिरे पास तेरा ग़म तो रहा
वगर्ना ज़िंदगी भर को रुला दिया होता
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यूँ भी इक बार तो होता कि समुंदर बहता
कोई एहसास तो दरिया की अना का होता
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ज़िंदगी यूँ हुई बसर तन्हा
क़ाफ़िला साथ और सफ़र तन्हा
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"मैं कभी सिगरेट पीता नहीं,
मग़र हर आने वाले से पूँछ लेता हूँ कि
माचिस है ,
बहुत कुछ है जिसे मैं जला देना चाहता हूँ।"
वीर के द्वारा सुझाया गया
फिर कुछ ऐसे भी मुझे आजमाया गया..!
पंख काटे गएआसमां में उड़ाया गया ..!!!
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तकलीफ खुद ही कम हो गई !
जब अपनों से उम्मीद कम हो गई ..!!
जिन्हे वाकई बात करना आता है
वो लोग अक्सर खामोश रहते हैं
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ये टूटे दरवाजे , टूटी चारपाई और टूटी छत... मालूम होता है किसी 'ईमानदार' का घर है...!!
कुछ इस तरह से नाराज हैं वो हमसे,
जैसे किसी और ने मना लिया हो उन्हें..
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आज हर ख़ामोशी को मिटा देने का मन है
जो भी छिपा रखा है मन में लूटा देने का मन है...
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क्यूं इतने लफजो में मुझे चुनते हो,
इतनी ईंटें लगती है क्या एक खयाल दफनाने में?
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शायर बनना बहुत आसान है...
बस एक अधूरी मोहब्बत की मुकम्मल डिग्री चाहिए...
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जिस जगह जाकर कोई वापस नहीं आता
जाने क्यों आज वहां जाने को जी चाहता है
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चंद रातों के खुवाब
उम्र भर की नींद मांगते है।।
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बस में हो ना हो, तुमसे प्रेम ना करना सबसे बेहतर निर्णय है
मेरे जीवन का, निर्णय था..!! शायद..!!
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"पूछ कर अपनी निगाहों से बता दे मुझको,
मेरी राहों के मुकद्दर में सहर है कि नही.."
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ना जाने किस तरह का संग-तराश था वो भी। मुझे इस तरह तराशा है, के पाश-पाश हो गए हैं।।येगुनाह हम ने एक बार किया
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बहोत अंदर तक जला देती है,
वो शिकायतें जो बयाँ नही होती..
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महदूद हैं दुआएँ मेरे अख्तियार में..
हर साँस हो सुकून की तू सौ बरस जिये...
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इक उर्म हुई मैं तो हंसी भूल चुका हूँ,
तुम अब भी मेरे दिल को दुखाना नही भूले ।
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तन्हाई की दीवारो पे घुटन का पर्दा झूल रहा है...
बेबसी की छत के नीचे,कोई किसी को भूल रहा है....
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