एक नज़रिया

एक नज़रियाएक नज़रियाएक नज़रिया

एक नज़रिया

एक नज़रियाएक नज़रियाएक नज़रिया
  • Shayari-Sangrah
  • Azeem Shayar
    • Ishq-Shayari
    • Virah-Shayari
    • Ghalib-Shayari
    • Bashir-Badr-Shayari
    • Gulzar-Shayari
  • Shero Shayari In video
    • Urdu-Studio
    • Ansuni-Shayari - 1
    • Ansuni Shayari - 2
    • Voice Of RJ - 1
    • Voice Of RJ - 2
    • Gazal
    • Azeem-Nazam
    • Movie Shayari
    • Sukoon
  • Shayari
    • Ek-Shayari
    • Do Lafz
    • Guzarish
    • Andaz-E-Bayan
    • Irshad
    • Mehfil-Shayari
  • Shayari Dil Se
    • Ek-Nazariya
    • Manchala Madhur
    • Auraq-e-jazbat
    • Roops Diary
    • Apka-Nazariya
  • Mere Watan
  • Insta Nazariya
  • Contact US
  • More
    • Shayari-Sangrah
    • Azeem Shayar
      • Ishq-Shayari
      • Virah-Shayari
      • Ghalib-Shayari
      • Bashir-Badr-Shayari
      • Gulzar-Shayari
    • Shero Shayari In video
      • Urdu-Studio
      • Ansuni-Shayari - 1
      • Ansuni Shayari - 2
      • Voice Of RJ - 1
      • Voice Of RJ - 2
      • Gazal
      • Azeem-Nazam
      • Movie Shayari
      • Sukoon
    • Shayari
      • Ek-Shayari
      • Do Lafz
      • Guzarish
      • Andaz-E-Bayan
      • Irshad
      • Mehfil-Shayari
    • Shayari Dil Se
      • Ek-Nazariya
      • Manchala Madhur
      • Auraq-e-jazbat
      • Roops Diary
      • Apka-Nazariya
    • Mere Watan
    • Insta Nazariya
    • Contact US
  • Shayari-Sangrah
  • Azeem Shayar
  • Shero Shayari In video
  • Shayari
  • Shayari Dil Se
  • Mere Watan
  • Insta Nazariya
  • Contact US
shayari,shayari,shayari,shayari,shayari,shayari,shayari,shayari,शायरी,शायरी,शायरी,शायरी,शायरी,शायरी

हम को मालूम है जन्नत की हक़ीक़त लेकिन

दिल के ख़ुश रखने को 'ग़ालिब' ये ख़याल अच्छा है


======================


तोड़ा कुछ इस अदा से तालुक़ उस ने ग़ालिब 
के सारी उम्र अपना क़सूर ढूँढ़ते रहे 


======================


रहने दे मुझे इन अंधेरों में, "ग़ालिब"... 

कमबख्त रौशनी में "अपनों" के असली चेहरे सामने आ जाते हैं   

www.EkNazariya.com
Shayari, poetry,gazal ,sher, poem,hindi shayari,Ghalib shayari, sad shayari,love shayari,urdu shayari,movie shayri,Best shayari,old shayari Famous shayari, bashir badr shayari शायरी शायरी

कोई दिन गर ज़िंदगानी और है 
अपने जी में हमने ठानी और है 

​

आतिश -ऐ -दोज़ख में ये गर्मी कहाँ 
सोज़-ऐ -गम है निहानी और है

​

बारह देखीं हैं उन की रंजिशें , 
पर कुछ अब के सरगिरानी और है 

​

देके खत मुँह देखता है नामाबर ,
कुछ तो पैगाम -ऐ -ज़बानी और है 

​

हो चुकीं ‘ग़ालिब’ बलायें सब तमाम ,
एक मर्ग -ऐ -नागहानी और है .

www.EkNazariya.com
Shayari, poetry,gazal ,sher, poem,hindi shayari,Ghalib shayari, sad shayari,love shayari,urdu shayari,movie shayri,Best shayari,old shayari Famous shayari, bashir badr shayari शायरी शायरी

हमको मालूम है जन्नत की हकीकत लेकिन 
दिल के खुश रखने को “ग़ालिब” यह ख्याल अच्छा है 

================================


फिर उसी बेवफा पे मरते हैं ,फिर वही ज़िन्दगी हमारी है 
बेखुदी बेसबब नहीं ‘ग़ालिब’,कुछ तो है जिस की पर्दादारी है 

================================


खुदा के वास्ते पर्दा न रुख्सार से उठा ज़ालिम 
कहीं ऐसा न हो जहाँ भी वही काफिर सनम निकले 

================================


बाजीचा-ऐ-अतफाल है दुनिया मेरे आगे 
होता है शब-ओ-रोज़ तमाशा मेरे आगे 

 तेरी दुआओं में असर हो तो मस्जिद को हिला के दिखा !
नहीं तो दो घूँट पी और मस्जिद को हिलता देख  !!


================================


 ऐ बुरे वक़्त ज़रा अदब से पेश आ ,
क्यूंकि वक़्त नहीं लगता वक़्त बदलने में … 


================================

 ज़िन्दगी उसकी जिस की मौत पे ज़माना अफ़सोस करे ग़ालिब ,यूँ तो हर शक्श आता हैं इस दुनिया में मरने कि लिए ..!!


================================

 ज़ाहिद शराब पीने दे मस्जिद में बैठ कर .!
या वह जगह बता जहाँ खुदा नहीं .. !!


================================

 इस सादगी पर कौन ना मर जाये..!!
लड़ते है और हाथ में तलवार भी नहीं..!!


================================ 

 उनके देखे जो आ जाती है रौनक..!
वो समझते है कि बीमार का हाल अच्छा है ..!!


================================

www.EkNazariya.com
Shayari, poetry,gazal ,sher, poem,hindi shayari,Ghalib shayari, sad shayari,love shayari,urdu shayari,movie shayri,Best shayari,old shayari Famous shayari, bashir badr shayari शायरी शायरी

 जला है जिस्म जहाँ दिल भी जल गया होगा,
कुरेदते हो जो अब राख, जुस्तजू क्या है ? 

================================


 कितना खौफ होता है शाम के अंधेरूँ में,
पूँछ उन परिंदों से जिन के घर्र नहीं होते ..!!

================================


 आह को चाहिए इक उम्र असर होते तक..!
कौन जीता है तिरी ज़ुल्फ़ के सर होते तक ..!!

================================


 र

 जला है जिस्म जहाँ दिल भी जल गया होगा,
कुरेदते हो जो अब राख, जुस्तजू क्या है ? 

================================


 कितना खौफ होता है शाम के अंधेरूँ में,
पूँछ उन परिंदों से जिन के घर्र नहीं होते ..!!

================================


 आह को चाहिए इक उम्र असर होते तक..!
कौन जीता है तिरी ज़ुल्फ़ के सर होते तक ..!!

================================


 रहने दे मुझे इन अंधेरों में, "ग़ालिब"...
कमबख्त रौशनी में "अपनों" के असली चेहरे सामने आ जाते हैं  

www.EkNazariya.com
Shayari, poetry,gazal ,sher, poem,hindi shayari,Ghalib shayari, sad shayari,love shayari,urdu shayari,movie shayri,Best shayari,old shayari Famous shayari, bashir badr shayari शायरी शायरी

 हम को मालूम है जन्नत की हक़ीक़त लेकिन
दिल के ख़ुश रखने को ‘ग़ालिब’ ये ख़याल अच्छा है  

================================

 

 न था कुछ तो ख़ुदा था कुछ न होता तो ख़ुदा होता
डुबोया मुझ को होने ने न होता मैं तो क्या होता 

================================


 रगों में दौड़ते फिरने के हम नहीं क़ाइल
जब आँख ही से न टपका तो फिर लहू क्या है 

================

 हम को मालूम है जन्नत की हक़ीक़त लेकिन
दिल के ख़ुश रखने को ‘ग़ालिब’ ये ख़याल अच्छा है  

================================

 

 न था कुछ तो ख़ुदा था कुछ न होता तो ख़ुदा होता
डुबोया मुझ को होने ने न होता मैं तो क्या होता 

================================


 रगों में दौड़ते फिरने के हम नहीं क़ाइल
जब आँख ही से न टपका तो फिर लहू क्या है 

================================


 बाज़ीचा-ए-अतफ़ाल है दुनिया मिरे आगे
होता है शब-ओ-रोज़ तमाशा मिरे आगे 


www.EkNazariya.com
Shayari, poetry,gazal ,sher, poem,hindi shayari,Ghalib shayari, sad shayari,love shayari,urdu shayari,movie shayri,Best shayari,old shayari Famous shayari, bashir badr shayari शायरी शायरी

 बाज़ीचा-ए-अतफ़ाल है दुनिया मिरे आगे..!!
होता है शब-ओ-रोज़ तमाशा मिरे आगे ..!!!!

================================


 काबा किस मुँह से जाओगे ‘ग़ालिब’..!!
शर्म तुम को मगर नहीं आती ..!!!

================================


 कोई मेरे दिल से पूछे तिरे तीर-ए-नीम-कश को..!
ये ख़लिश कहाँ से होती जो जिगर के पार होता ..!!!

================================


 रंज

 बाज़ीचा-ए-अतफ़ाल है दुनिया मिरे आगे..!!
होता है शब-ओ-रोज़ तमाशा मिरे आगे ..!!!!

================================


 काबा किस मुँह से जाओगे ‘ग़ालिब’..!!
शर्म तुम को मगर नहीं आती ..!!!

================================


 कोई मेरे दिल से पूछे तिरे तीर-ए-नीम-कश को..!
ये ख़लिश कहाँ से होती जो जिगर के पार होता ..!!!

================================


 रंज से ख़ूगर हुआ इंसाँ तो मिट जाता है रंज..!
मुश्किलें मुझ पर पड़ीं इतनी कि आसाँ हो गईं ..!!!

www.EkNazariya.com
Shayari, poetry,gazal ,sher, poem,hindi shayari,Ghalib shayari, sad shayari,love shayari,urdu shayari,movie shayri,Best shayari,old shayari Famous shayari, bashir badr shayari शायरी शायरी

 रेख़्ते के तुम्हीं उस्ताद नहीं हो ‘ग़ालिब’
कहते हैं अगले ज़माने में कोई ‘मीर’ भी था 

================================


 थी खबर गर्म के ग़ालिब के उड़ेंगे पुर्ज़े ,
देखने हम भी गए थे पर तमाशा न हुआ 

================================


 दिल दिया जान के क्यों उसको वफादार , असद 
ग़लती की के जो काफिर को मुस्लमान समझा 

================================


 दिल दिया जान के क्यों उसको वफादार , असद 
ग़लती की के जो काफिर को मुस्लमान समझा 

www.EkNazariya.com
Shayari, poetry,gazal ,sher, poem,hindi shayari,Ghalib shayari, sad shayari,love shayari,urdu shayari,movie shayri,Best shayari,old shayari Famous shayari, bashir badr shayari शायरी शायरी

लाज़िम था के देखे मेरा रास्ता कोई दिन और
तनहा गए क्यों , अब रहो तनहा कोई दिन और 

================================


 कितने शिरीन हैं तेरे लब के रक़ीब,गालियां खा के बेमज़ा न हुआ 
कुछ तो पढ़िए की लोग कहते हैं,आज ‘ग़ालिब ‘ गजलसारा न हुआ 

================================


 इश्क़ मुझको नहीं वेहशत ही सही,मेरी वेहशत तेरी शोहरत ही सही 
कटा कीजिए न तालुक हम से,कुछ नहीं है तो अदावत ही सही

================================

 

दिल से तेरी निगाह जिगर तक उतर गई ,दोनों को एक अदा में रजामंद कर गई

मारा ज़माने ने ‘ग़ालिब’ तुम को ,वो वलवले कहाँ , वो जवानी किधर गई

 

shayari,shayari,shayari,shayari,shayari,shayari,shayari,shayari,शायरी,शायरी,शायरी,शायरी,शायरी,शायरी

उल्फ़त पैदा हुई है , कहते हैं , हर दर्द की दवा 
यूं हो हो तो चेहरा -ऐ -गम उल्फ़त ही क्यों न हो ..

================================


 नादान हो जो कहते हो क्यों जीते हैं “ग़ालिब “
किस्मत मैं है मरने की तमन्ना कोई दिन और 

================================


 गम -ऐ -हस्ती का असद किस से हो जूझ मर्ज इलाज.!
शमा हर रंग मैं जलती है सहर होने तक .. !!

================================


 ग़ालिब ‘ हमें न छेड़ की फिर जोश -ऐ -अश्क से 
बैठे हैं हम तहय्या -ऐ -तूफ़ान किये हुए ..!!


 

www.EkNazariya.com
Shayari, poetry,gazal ,sher, poem,hindi shayari,Ghalib shayari, sad shayari,love shayari,urdu shayari,movie shayri,Best shayari,old shayari Famous shayari, bashir badr shayari शायरी शायरी

------------------------------------ 

कोई दिन गर ज़िंदगानी और है 
अपने जी में हमने ठानी और है 

​

आतिश -ऐ -दोज़ख में ये गर्मी कहाँ 
सोज़-ऐ -गम है निहानी और है

​

बारह देखीं हैं उन की रंजिशें , 
पर कुछ अब के सरगिरानी और है 

​

देके खत मुँह देखता है नामाबर ,
कुछ तो पैगाम -ऐ -ज़बानी और है 

​

हो चुकीं ‘ग़ालिब’ बलायें सब तमाम ,
एक मर्ग -ऐ -नागहानी और है .

 ------------------------------------ 

www.EkNazariya.com
Shayari, poetry,gazal ,sher, poem,hindi shayari,Ghalib shayari, sad shayari,love shayari,urdu shayari,movie shayri,Best shayari,old shayari Famous shayari, bashir badr shayari शायरी शायरी

------------------------------------ 

कोई उम्मीद बर नहीं आती
कोई सूरत नज़र नहीं आती

​

 मौत का एक दिन मु’अय्यन है
निहद क्यों रात भर नहीः आती?

​

आगे आती थी हाल-इ-दिल पे हंसी
अब किसी बात पर नहीं आती

​

क्यों न चीखूँ की याद करते हैं
मेरी आवाज़ गर नहीं आती.

​

 हम वहाँ हैं जहां से हमको भी
कुछ हमारी खबर नहीं आती

------------------------------------

www.EkNazariya.com
Shayari, poetry,gazal ,sher, poem,hindi shayari,Ghalib shayari, sad shayari,love shayari,urdu shayari,movie shayri,Best shayari,old shayari Famous shayari, bashir badr shayari शायरी शायरी

न था कुछ तो ख़ुदा था कुछ न होता तो ख़ुदा होता
डुबोया मुझ को होने ने न होता मैं तो क्या होता

​

हुआ जब ग़म से यूँ बे-हिस तो ग़म क्या सर के कटने का
न होता गर जुदा तन से तो ज़ानू पर धरा होता

​

हुई मुद्दत कि ‘ग़ालिब’ मर गया पर याद आता है
वो हर इक बात पर कहना कि यूँ होता तो क्या होता


================================


www.EkNazariya.com
Shayari, poetry,gazal ,sher, poem,hindi shayari,Ghalib shayari, sad shayari,love shayari,urdu shayari,movie shayri,Best shayari,old shayari Famous shayari, bashir badr shayari शायरी शायरी

 

रहिए अब ऐसी जगह चल कर जहाँ कोई न हो
हम-सुख़न कोई न हो और हम-ज़बाँ कोई न हो

​

बे-दर-ओ-दीवार सा इक घर बनाया चाहिए
कोई हम-साया न हो और पासबाँ कोई न हो

​

पड़िए गर बीमार तो कोई न हो तीमारदार
और अगर मर जाइए तो नौहा-ख़्वाँ कोई न हो


   ============================ 


 आता है दाग-ए-हसरत-ए-दिल का शुमार याद,
मुझसे मेरे गुनाह का हिसाब ऐ खुदा न माँग। 

   ====

 

रहिए अब ऐसी जगह चल कर जहाँ कोई न हो
हम-सुख़न कोई न हो और हम-ज़बाँ कोई न हो

​

बे-दर-ओ-दीवार सा इक घर बनाया चाहिए
कोई हम-साया न हो और पासबाँ कोई न हो

​

पड़िए गर बीमार तो कोई न हो तीमारदार
और अगर मर जाइए तो नौहा-ख़्वाँ कोई न हो


   ============================ 


 आता है दाग-ए-हसरत-ए-दिल का शुमार याद,
मुझसे मेरे गुनाह का हिसाब ऐ खुदा न माँग। 

   ============================ 


 कोई कितना ही खुश-मिज़ाज क्यों न हो... ♥♥ रुला देती है किसी की कमी कभी-कभी..!!  

www.EkNazariya.com
Shayari, poetry,gazal ,sher, poem,hindi shayari,Ghalib shayari, sad shayari,love shayari,urdu shayari,movie shayri,Best shayari,old shayari Famous shayari, bashir badr shayari शायरी शायरी

  

============================ 

आह को चाहिए इक उम्र असर होते तक 

कौन जीता है तिरी ज़ुल्फ़ के सर होते तक

​

दाम-ए-हर-मौज में है हल्क़ा-ए-सद-काम-ए-नहंग देखें क्या गुज़रे है क़तरे पे गुहर होते तक

​

आशिक़ी सब्र-तलब और तमन्ना बेताब 

दिल का क्या रंग करूँ ख़ून-ए-जिगर होते तक

​

हम ने माना कि तग़ाफ़ुल न करोगे लेकिन 

ख़ाक हो जाएँगे हम तुम को ख़बर होते तक

​

परतव

  

============================ 

आह को चाहिए इक उम्र असर होते तक 

कौन जीता है तिरी ज़ुल्फ़ के सर होते तक

​

दाम-ए-हर-मौज में है हल्क़ा-ए-सद-काम-ए-नहंग देखें क्या गुज़रे है क़तरे पे गुहर होते तक

​

आशिक़ी सब्र-तलब और तमन्ना बेताब 

दिल का क्या रंग करूँ ख़ून-ए-जिगर होते तक

​

हम ने माना कि तग़ाफ़ुल न करोगे लेकिन 

ख़ाक हो जाएँगे हम तुम को ख़बर होते तक

​

परतव-ए-ख़ुर से है शबनम को फ़ना की ता’लीम 

मैं भी हूँ एक इनायत की नज़र होते तक

​

यक नज़र बेश नहीं फ़ुर्सत-ए-हस्ती ग़ाफ़िल 

गर्मी-ए-बज़्म है इक रक़्स-ए-शरर होते तक

​

ग़म-ए-हस्ती का ‘असद’ किस से हो जुज़ मर्ग इलाज 

शम्अ हर रंग में जलती है सहर होते तक

============================ 

www.EkNazariya.com
Shayari, poetry,gazal ,sher, poem,hindi shayari,Ghalib shayari, sad shayari,love shayari,urdu shayari,movie shayri,Best shayari,old shayari Famous shayari, bashir badr shayari शायरी शायरी


रंज से ख़ूगर हुआ इंसाँ तो मिट जाता है रंज

मुश्किलें मुझ पर पड़ीं इतनी कि आसाँ हो गईं ..!!


-------------------------------------------------


अपनी गली में मुझको न कर दफ्न बादे-कत्ल,

मेरे पते से खल्क को क्यों तेरा घर मिले। 


-------------------------------------------------


आईना देख अपना सा मुँह ले के रह गए 

साहब को दिल न देने पे कितना ग़ुरूर था 

---


रंज से ख़ूगर हुआ इंसाँ तो मिट जाता है रंज

मुश्किलें मुझ पर पड़ीं इतनी कि आसाँ हो गईं ..!!


-------------------------------------------------


अपनी गली में मुझको न कर दफ्न बादे-कत्ल,

मेरे पते से खल्क को क्यों तेरा घर मिले। 


-------------------------------------------------


आईना देख अपना सा मुँह ले के रह गए 

साहब को दिल न देने पे कितना ग़ुरूर था 

-------------------------------------------------


इस सादगी पे कौन न मर जाए ऐ ख़ुदा,

लड़ते हैं और हाथ में तलवार भी नहीं। 



 ------------------------------------------------

इश्क़ मुझ को नहीं वहशत ही सही

मेरी वहशत तिरी शोहरत ही सही

​

क़त्अ कीजे न तअल्लुक़ हम से 

कुछ नहीं है तो अदावत ही सही

​

मेरे होने में है क्या रुस्वाई 

ऐ वो मज्लिस नहीं ख़ल्वत ही सही

​

हम भी दुश्मन तो नहीं हैं अपने 

ग़ैर को तुझ से मोहब्बत ही सही

​

अपनी हस्ती ही से हो जो कुछ हो 

आगही गर नहीं ग़फ़लत ही सही

​

उम्र हर-चंद कि है बर्क़-ए-ख़िराम 

दिल के ख़ूँ करने की फ़ुर्सत ही सही

​

हम कोई तर्क-ए-वफ़ा करते हैं 

न सही इश्क़ मुसीबत ही सही

​

कुछ तो दे ऐ फ़लक-ए-ना-इंसाफ़ 

आह ओ फ़रियाद की रुख़्सत ही सही

​हम भी तस्लीम की ख़ू डालेंगे 

बे-नियाज़ी तिरी आदत ही सही

​

यार से छेड़ चली जाए ‘असद’ 

गर नहीं वस्ल तो हसरत ही सही

 ------------------------------------------------

  -----------------------------------------------


हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पे दम निकले
बहुत निकले मिरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले

​

डरे क्यूँ मेरा क़ातिल क्या रहेगा उस की गर्दन पर
वो ख़ूँ जो चश्म-ए-तर से उम्र भर यूँ दम-ब-दम निकले

​

निकलना ख़ुल्द से आदम का सुनते आए हैं लेकिन
बहुत बे-आबरू हो कर तिरे कूचे से हम निकले

​

भरम खुल जाए ज़ालिम तेरे क़ामत की दराज़ी का
अगर इस तुर्रा-ए-पुर-पेच-ओ-ख़म का पेच-ओ-ख़म निकले

​

मगर लिखवाए कोई उस को ख़त तो हम से लिखवाए
हुई सुब्ह और घर से कान पर रख कर क़लम निकले

​

हुई इस दौर में मंसूब मुझ से बादा-आशामी
फिर आया वो ज़माना जो जहाँ में जाम-ए-जम निकले

​

हुई जिन से तवक़्क़ो’ ख़स्तगी की दाद पाने की
वो हम से भी ज़ियादा ख़स्ता-ए-तेग़-ए-सितम निकले

​

मोहब्बत में नहीं है फ़र्क़ जीने और मरने का
उसी को देख कर जीते हैं जिस काफ़िर पे दम निकले

​

कहाँ मय-ख़ाने का दरवाज़ा ‘ग़ालिब’ और कहाँ वाइ’ज़
पर इतना जानते हैं कल वो जाता था कि हम निकले

  -----------------------------------------------

 

गैर ले महफ़िल में बोसे जाम के ! हम रहें यूँ तश्ना-ऐ-लब पैगाम के !!

खत लिखेंगे गरचे मतलब कुछ न हो ! हम तो आशिक़ हैं तुम्हारे नाम के !!!

इश्क़ ने “ग़ालिब” निकम्मा कर दिया ! वरना हम भी आदमी थे काम के!!!

  ----------------------------------------------- 


      दर्द मिन्नत-कश-ए-दवा न हुआ 

      मैं न अच्छा हुआ बुरा न हुआ 


      जम्अ करते हो क्यूँ रक़ीबों को 

      इक तमाशा हुआ गिला न हुआ 


      हम कहाँ क़िस्मत आज़माने जाएँ 

      तू ही जब ख़ंजर-आज़मा न हुआ 


      कितने शीरीं हैं तेरे लब कि रक़ीब 

      गालियाँ खा के बे-मज़ा न हुआ 


      है ख़बर गर्म उन के आने की 

      आज ही घर में बोरिया न हुआ 


      क्या वो नमरूद की ख़ुदाई थी 

      बंदगी में मिरा भला न हुआ 


      जान दी दी हुई उसी की थी 

      हक़ तो यूँ है कि हक़ अदा न हुआ 


      ज़ख़्म गर दब गया लहू न थमा 

      काम गर रुक गया रवा न हुआ 


      रहज़नी है कि दिल-सितानी है 

      ले के दिल दिल-सिताँ रवाना हुआ 


      कुछ तो पढ़िए कि लोग कहते हैं 

      आज 'ग़ालिब' ग़ज़ल-सरा न हुआ 


-----------------------------------------------

 सँभलने दे मुझे ऐ ना-उमीदी क्या क़यामत है

कि दामान-ए-ख़याल-ए-यार छूटा जाए है मुझ से

 ----------------------------------------------- 

 हम कहाँ के दाना थे किस हुनर में यकता थे

बे-सबब हुआ 'ग़ालिब' दुश्मन आसमाँ अपना

 ----------------------------------------------- 

 हम को मालूम है जन्नत की हक़ीक़त लेकिन

दिल के ख़ुश रखने को 'ग़ालिब' ये ख़याल अच्छा है

 ----------------------------------------------- 

दिल के दो हिस्से जो कर डाले थे हुस्न-ओ-इश्क़ ने 

एक सहरा बन गया और एक गुलशन हो गया 

 ----------------------------------------------- 


 हमारे शेर हैं अब सिर्फ़ दिल-लगी के 'असद'

खुला कि फ़ाएदा अर्ज़-ए-हुनर में ख़ाक नहीं

 ----------------------------------------------- 


 हर एक बात पे कहते हो तुम कि तू क्या है

तुम्हीं कहो कि ये अंदाज़-ए-गुफ़्तुगू क्या है

 हम को उन से वफ़ा की है उम्मीद

जो नहीं जानते वफ़ा क्या है

 ----------------------------------------------- 


 हर इक मकान को है मकीं से शरफ़ 'असद'

मजनूँ जो मर गया है तो जंगल उदास है

 ----------------------------------------------- 


 हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पे दम निकले

बहुत निकले मिरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले

 हम ने माना कि तग़ाफ़ुल न करोगे लेकिन

ख़ाक हो जाएँगे हम तुम को ख़बर होते तक

  -----------------------------------------------  

 

हुआ है शह का मुसाहिब फिरे है इतराता

वगरना शहर में 'ग़ालिब' की आबरू क्या है

  ----------------------------------------------- 

 

होगा कोई ऐसा भी कि 'ग़ालिब' को न जाने

शाइर तो वो अच्छा है प बदनाम बहुत है 


www.EkNazariya.com
Shayari, poetry,gazal ,sher, poem,hindi shayari,Ghalib shayari, sad shayari,love shayari,urdu shayari,movie shayri,Best shayari,old shayari Famous shayari, bashir badr shayari शायरी शायरी

ये न थी हमारी क़िस्मत कि विसाल-ए-यार होता 

अगर और जीते रहते यही इंतिज़ार होता 

*****************************************


 “हाथों की लकीरों पर मत जा ए ग़ालिब,
नसीब उनके भी होते हैं जिनके हाथ नहीं होता” 

*****************************************


 “इशरत-ए-कतरा है दरिया मैं फना हो जाना,
दर्द का हद से गुजरना है दवा हो जाना” 

www.EkNazariya.com
Shayari, poetry,gazal ,sher, poem,hindi shayari,Ghalib shayari, sad shayari,love shayari,urdu shayari,movie shayri,Best shayari,old shayari Famous shayari, bashir badr shayari शायरी शायरी

ये न थी हमारी क़िस्मत कि विसाल-ए-यार होता 

अगर और जीते रहते यही इंतिज़ार होता

 ***************************************** 


 “इश्क पर ज़ोर नहीं है,
ये वो आतिश गालिब कि लगाए न लगे और बुझाए न बने”  

 ***************************************** 


 तेरे वादे पर जिये हम, तो यह जान, झूठ जाना,
कि ख़ुशी से मर न जाते, अगर एतबार होता 

www.EkNazariya.com
Shayari, poetry,gazal ,sher, poem,hindi shayari,Ghalib shayari, sad shayari,love shayari,urdu shayari,movie shayri,Best shayari,old shayari Famous shayari, bashir badr shayari शायरी शायरी

क़र्ज़ की पीते थे मय लेकिन समझते थे कि हाँ 

रंग लावेगी हमारी फ़ाक़ा-मस्ती एक दिन

  *****************************************  


 हुआ जब गम से यूँ बेहिश तो गम क्या सर के कटने का,
ना होता गर जुदा तन से तो जहानु पर धरा होता! 

  ***************************************** 


हुई मुद्दत कि 'ग़ालिब' मर गया पर याद आता है,

वो हर इक बात पर कहना कि यूँ होता तो क्या होता !

www.EkNazariya.com
Shayari, poetry,gazal ,sher, poem,hindi shayari,Ghalib shayari, sad shayari,love shayari,urdu shayari,movie shayri,Best shayari,old shayari Famous shayari, bashir badr shayari शायरी शायरी

 ये रश्क है कि वो होता है हमसुख़न हमसे
वरना ख़ौफ़-ए-बदामोज़ी-ए-अदू क्या है 


 चिपक रहा है बदन पर लहू से पैराहन
हमारी ज़ेब को अब हाजत-ए-रफ़ू क्या है 


*****************************************


 जला है जिस्म जहाँ दिल भी जल गया होगा
कुरेदते हो जो अब राख जुस्तजू क्या है


 ये रश्क है कि वो होता है हमसुख़न हमसे
वरना ख़ौफ़-ए-बदामोज़ी-ए-अदू क्या है 


 चिपक रहा है बदन पर लहू से पैराहन
हमारी ज़ेब को अब हाजत-ए-रफ़ू क्या है 


*****************************************


 जला है जिस्म जहाँ दिल भी जल गया होगा
कुरेदते हो जो अब राख जुस्तजू क्या है

रगों में दौड़ते फिरने के हम नहीं क़ायल
जब आँख ही से न टपका तो फिर लहू क्या है 


*****************************************


हर किसी को एक बार प्यार ज़रूर करना चाहिए, ताकि उसे पता चले प्यार क्यों नहीं करना चाहिए 

www.EkNazariya.com
Shayari, poetry,gazal ,sher, poem,hindi shayari,Ghalib shayari, sad shayari,love shayari,urdu shayari,movie shayri,Best shayari,old shayari Famous shayari, bashir badr shayari शायरी शायरी

 वो चीज़ जिसके लिये हमको हो बहिश्त अज़ीज़
सिवाए बादा-ए-गुल्फ़ाम-ए-मुश्कबू क्या है

पियूँ शराब अगर ख़ुम भी देख लूँ दो चार
ये शीशा-ओ-क़दह-ओ-कूज़ा-ओ-सुबू क्या है 

 

 ***************************************** 


  रही न ताक़त-ए-गुफ़्तार और अगर हो भी
तो किस उम्मीद पे कहिये के आरज़ू क्या है

बना है शह का मुसाहिब, फिरे है इतराता
वगर्ना शहर में "ग़ालिब"

 वो चीज़ जिसके लिये हमको हो बहिश्त अज़ीज़
सिवाए बादा-ए-गुल्फ़ाम-ए-मुश्कबू क्या है

पियूँ शराब अगर ख़ुम भी देख लूँ दो चार
ये शीशा-ओ-क़दह-ओ-कूज़ा-ओ-सुबू क्या है 

 

 ***************************************** 


  रही न ताक़त-ए-गुफ़्तार और अगर हो भी
तो किस उम्मीद पे कहिये के आरज़ू क्या है

बना है शह का मुसाहिब, फिरे है इतराता
वगर्ना शहर में "ग़ालिब" की आबरू क्या है 


 ***************************************** 


वो मिले भी तो खुदा के दरबार मै ग़ालिब .!

अब तू ही बता मोहबत करते या इबादत..!!

www.EkNazariya.com
Shayari, poetry,gazal ,sher, poem,hindi shayari,Ghalib shayari, sad shayari,love shayari,urdu shayari,movie shayri,Best shayari,old shayari Famous shayari, bashir badr shayari शायरी शायरी

 ये हम जो हिज्र में दीवार-ओ-दर को देखते हैं
कभी सबा को, कभी नामाबर को देखते हैं

वो आए घर में हमारे, खुदा की क़ुदरत हैं!
कभी हम उमको, कभी अपने घर को देखते हैं 


  ***************************************** 


 नज़र लगे न कहीं उसके दस्त-ओ-बाज़ू को
ये लोग क्यूँ मेरे ज़ख़्मे जिगर को देखते हैं

तेरे ज़वाहिरे तर्फ़े कुल को क्या देखें
हम औजे तअले लाल-ओ

 ये हम जो हिज्र में दीवार-ओ-दर को देखते हैं
कभी सबा को, कभी नामाबर को देखते हैं

वो आए घर में हमारे, खुदा की क़ुदरत हैं!
कभी हम उमको, कभी अपने घर को देखते हैं 


  ***************************************** 


 नज़र लगे न कहीं उसके दस्त-ओ-बाज़ू को
ये लोग क्यूँ मेरे ज़ख़्मे जिगर को देखते हैं

तेरे ज़वाहिरे तर्फ़े कुल को क्या देखें
हम औजे तअले लाल-ओ-गुहर को देखते हैं 


 *****************************************  


शाम होते ही दिल मै ख्याल उठता है ग़ालिब आज दिन ढला है या मेरी उम्र 

Feedback here

Drop us a line!

This site is protected by reCAPTCHA and the Google Privacy Policy and Terms of Service apply.

I love to see you feedback here for improvement for this page

Ek Nazariya

chetan.yamger@gmail.com

Use below link for shopping

Connect With Us

Copyright © 2018 Ek Nazariya - All Rights Reserved.

  • Shayari-Sangrah
  • Ishq-Shayari
  • Virah-Shayari
  • Ghalib-Shayari
  • Bashir-Badr-Shayari
  • Gulzar-Shayari
  • Ansuni-Shayari - 1
  • Ansuni Shayari - 2
  • Voice Of RJ - 1
  • Voice Of RJ - 2
  • Gazal
  • Azeem-Nazam
  • Movie Shayari
  • Sukoon
  • Ek-Shayari
  • Do Lafz
  • Guzarish
  • Andaz-E-Bayan
  • Irshad
  • Mehfil-Shayari
  • Ek-Nazariya
  • Manchala Madhur
  • Auraq-e-jazbat
  • Roops Diary
  • Apka-Nazariya
  • Mere Watan
  • Insta Nazariya
  • Contact US

Designed by Chetan Yamger