Rahgir (real name: Sunil Kumar Gurjar ) is a talented Indian singer-songwriter, poet, and storyteller known for his soulful voice and deep, meaningful lyrics. His songs often explore themes of love, life, struggles, and the beauty of simplicity.
Rahgir's music combines raw emotions with a unique blend of folk and acoustic styles, resonating deeply with listeners who appreciate heartfelt storytelling. Popular tracks like "Mere Gaon Aaoge," "Kanya Manya Kurr," and "Ye Jo Hans Rahi Hai Duniya" have earned him a dedicated following.
Beyond his music, Rahgir’s poetic compositions reflect his sensitivity to societal issues, making his work relatable and inspiring. His ability to weave profound thoughts into simple words sets him apart as a voice of authenticity and introspection.
Kachha Ghada ( Ye jo hans rahi hai duniya) Song by Rahgir | Music Shubhodeep Roy
Mere Gaon Aaoge by RAHGIR | मेरे गाँव आओगे - राहगीर | New original song
"तुम पैसे-औहदों पर इतरा ना पाओगे,
इतनी तालियाँ होंगी मेरे नाम पे कभी।"
"Tum paise-auhado par itra na paoge,
Itni taaliyan hongi mere naam pe kabhi."
Rahgira Mila Kabira Se | Rahgir New Song
Tan Kha Gayi Ye Tankha By Rahgir | तन खा गई ये तनख़ा - राहगीर
Beta Rahgir by Rahgir | बेटा राहगीर गीत
(Full Version) Bhai Rahgir Ye Hum Kaunsi Gaadi Pe Chadh Gaye | Rahgir
Rahgir Yahi Janjaal by Rahgir | Animal Cruelty Song | Song for Animals
I Love to Travel (Khush Hone Ko) by Rahgir | Song of Gratitude | Shubhodeep Roy | Lateeb Khan
Fufaji by Rahgir | फूफाजी गीत
तुम मुड़ तो पाओगे, पर लौट ना पाओगे
तुम मुड़ तो पाओगे, पर लौट ना पाओगे
मेरी याद आएगी उस मक़ाम पे कभी
सूरत station के बाहर ठंडी bench थी, चाय गरम थी
बगल में एक ताऊ के हाथ में बीड़ी थी जो लगभग ख़तम थी
मैंने बस दो-चार चुस्कियाँ ली थी कि उतने में ताऊ ने दूसरी सुलगा ली थी
पहली को फ़ेंका ज़मीन पर और जूती से कुचल दिया
मुझे जाने क्यूँ तेरी याद आई, मैं उठा और चल दिया
शामों का काम तो ढलना है, ढलेंगी तब भी
हवाओं का काम तो चलना है, चलेंगी तब भी
ज़ुल्फ़ों की तो ये फ़ितरत है, उड़ेंगी तब भी
कोई और सँवारेगा तो भी मेरी याद आएगी
तुम सोच तो लोगे, पर बोल ना पाओगे
तुम सोच तो लोगे, पर बोल ना पाओगे
दिल की बात आएगी ना जबान पे कभी
तुम पकड़ के गाड़ी शायद मेरे गाँव आओगे
मैं मिलूँगा ही नहीं उस मकान पे कभी
जैसलमेर में झाड़ के मिट्टी अपने जूतों-कपड़ों से
एक टीले पर मैं बैठा था, दूर जहाँ के लफ़ड़ों से
दूर कहीं वो ढलता सूरज मुझे छोड़ के तन्हा ढल गया
उस ठंडी रात में, उस ठंडी रेत पर मैं लेटे-लेटे जल गया
शब्द हैं, दर्द है, कलाकारी है, गीत बना लूँगा
उन गीतों की क़ीमत भारी है, मैं कमा लूँगा
ओ, तेरा नाम ना लूँगा, ख़ुद्दारी है, मैं छुपा लूँगा
कोई गुनगुनाएगा तो तुम समझ ही जाओगे
तुम पैसे-औहदों पर इतरा ना पाओगे
तुम पैसे-औहदों पर इतरा ना पाओगे
इतनी तालियाँ होंगी मेरे नाम पे कभी
तुम पकड़ के गाड़ी शायद मेरे गाँव आओगे
मैं मिलूँगा ही नहीं उस मकान पे कभी
एक कच्चा घड़ा हूँ मैं
एक कच्चा घड़ा हूँ मैं
फ़िर भी बरसात में खड़ा हूँ मैं
बूँदें बेरहम हैं, उनको ये वहम है
कि मैं टूट रहा हूँ, जो मैं चीख रहा हूँ
पर वो बेवकूफ़ हैं, मैं तो सीख रहा हूँ
ऐसे पहले भी लड़ा हूँ मैं
एक कच्चा घड़ा हूँ मैं
हम वो हैं जो क़िस्मत के चाँटों के शोर पे नाचते हैं
हम वो हैं जो क़िस्मत के चाँटों के शोर पे नाचते हैं
जितनी ज़ोर का चाँटा, हम उतनी ज़ोर से नाचते हैं
ये जो खिसक-खिसक के मैं आगे जा रहा हूँ
ये जो फ़िसल-फ़िसल के मैं पीछे आ रहा हूँ
ये जो पिघल-पिघल के मैं बहता जा रहा हूँ
ये जो सिसक-सिसक के मैं आहें भर रहा हूँ
नीचे हैं खाइयाँ और मैं काँप रहा हूँ
पर ज़िंदा हूँ अभी, अभी हाँफ़ रहा हूँ
ऐसे पहले भी चढ़ा हूँ मैं
एक कच्चा घड़ा हूँ मैं
एक तो राहों में बबूल बहुत हैं
उसके ऊपर से अपने उसूल बहुत हैं
उसके ऊपर से सब टोकते रहते हैं
कि Rahgir भाई, उधर जाओ, उधर फूल बहुत हैं
ये जो हँस रही है दुनिया मेरी नाकामियों पे
ताने कस रही है दुनिया मेरी नादानियों पे
पर मैं काम कर रहा हूँ मेरी सारी ख़ामियों पे
कल ये मारेंगे ताली मेरी कहानियों पे
कल जो बदलेगी हवा, ये साले शरमाएँगे
"हमारे अपने हो, " कह के ये बाँहें गरमाएँगे
क्योंकि ज़िद्दी बड़ा हूँ मैं
एक कच्चा घड़ा हूँ मैं
फ़िर भी बरसात में खड़ा हूँ मैं
बूँदें बेरहम हैं, उनको ये वहम है
कि मैं टूट रहा हूँ, जो मैं चीख रहा हूँ
पर वो बेवकूफ़ हैं, मैं तो सीख रहा हूँ
ऐसे पहले भी लड़ा हूँ मैं
एक कच्चा घड़ा हूँ मैं
अभी पतझड़ नहीं आया, अभी से पत्ते झड़ गए
अभी पतझड़ नहीं आया, अभी से पत्ते झड़ गए
भाई राहगीर, ये हम कौनसी गाड़ी पे चढ़ गए?
भाई राहगीर, ये हम कौनसी गाड़ी पे चढ़ गए?
अभी है बाप जिंदा, बेटे बंटवारे को लड़ गए
अभी है बाप जिंदा, बेटे बंटवारे को लड़ गए
भाई राहगीर, ये हम कौनसी गाड़ी पे चढ़ गए?
भाई राहगीर, ये हम कौनसी गाड़ी पे चढ़ गए?
रहके भूखा लड़ के, लेखक बन गया वो
झुकने को कहा दुनिया ने लेकिन तन गया वो
सबने कहा लिख शहद मगर उसने तेज़ाब लिखी
और बातें भी दो-चार नहीं, एक पूरी किताब लिखी
एक पूरी किताब लिखी
ठेले पे समोसे के उसके फिर पन्ने फड़ गए
भाई राहगीर, ये हम कौनसी गाड़ी पे चढ़ गए?
भाई राहगीर, ये हम कौनसी गाड़ी पे चढ़ गए?
किसी कचरे से बीज लिया, किसी नाली से पानी
फिर उनसे खेल-खेल कर काटी उम्र जवानी
जब बाग़ लगा तो नज़रें टिक गयी दुनिया वालों की
पर उसने वापस मूंह पर मारी दौलत सालों की
अरे दौलत सालों की
उसके मरते ही बेटे बिक गए बाग़ उजड़ गए
भाई राहगीर, ये हम कौनसी गाड़ी पे चढ़ गए?
भाई राहगीर, ये हम कौनसी गाड़ी पे चढ़ गए?
मेले में जो थी, सबसे बढ़िया खरीद कर
बड़े चाव से लायी थी एक अंगिया खरीद कर
उसको पहन गली में एक चक्कर लगाने गयी
नयी अंगिया में क्या लगती थी, सबको दिखाने गयी
सबको दिखाने गयी
वापस आने से पहले ही टाँके उधड़ गए
भाई राहगीर, ये हम कौनसी गाड़ी पे चढ़ गए?
भाई राहगीर, ये हम कौनसी गाड़ी पे चढ़ गए?
एक सयाने ने कहा तूफ़ान आएगा
सब कुछ उड़ा ले जाएगा घमसान आएगा
एक सयाने ने कहा तूफ़ान आएगा
सब कुछ उड़ा ले जाएगा घमसान आएगा
पर वहाँ पे जो थे सारे एक से एक सयाने थे
सबके अलग ही राग थे, अलग ही गाने थे
अलग ही गाने थे
तूफ़ाँ से पहले ही हालात बिगड़ गए
भाई राहगीर, ये हम कौनसी गाड़ी पे चढ़ गए?
भाई राहगीर, ये हम कौनसी गाड़ी पे चढ़ गए?
सूरज उगने से लेकर वापस उगने तक।
वो रहा सोचता सपनों पर है उसका हक़
पर कहा बाप ने, "सुन मेरा एक सपना पुराना"
जो मैं ना कर पाया तू वो कर के दिखाना
वो कर के दिखाना
फिर दबे दबे दिल में उसके वो सपने सड़ गए।
भाई राहगीर, ये हम कौनसी गाड़ी पे चढ़ गए?
भाई राहगीर, ये हम कौनसी गाड़ी पे चढ़ गए?
अभी पतझड़ नहीं आया, अभी से पत्ते झड़ गए
भाई राहगीर, ये हम कौनसी गाड़ी पे चढ़ गए?
अभी है बाप जिंदा, बेटे बंटवारे को लड़ गए
भाई राहगीर, ये हम कौनसी गाड़ी पे चढ़ गए?
भाई राहगीर, ये हम कौनसी गाड़ी पे चढ़ गए?
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